नेशनल आर्मी डे के खास अवसर पर देश भारतीय सेना का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता है. साथ ही उन महिलाओं की विशेष सराहना करता है, जिन्होंने पुरुषों के वर्चस्ववाले इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को मजबूती से दर्ज कराया. प्रेरणास्रोत के रूप में उभरी इन महिलाओं से प्रभावित होकर आज अनेक छात्राएं व युवतियां सेना से जुड़ने के लिए प्रेरित हो रही हैं. डालते हैं एक नजर भारतीय सेना में महिलाओं के सफर एवं इस क्षेत्र में खास मुकाम हासिल करनेवाली महिलाओं पर…
दिल्ली डेस्क
देश सेवा की जिम्मेदारी उठानेवाली भारतीय सेना में लंबे समय तक पुरुषों का वर्चस्व रहा है. लेकिन मजबूत इरादों और हौसलों के दम पर महिलाओं ने न सिर्फ इस क्षेत्र में दस्तक दी, बल्कि अपनी खास जगह बनाने में भी सफलता हासिल की है. पहले जहां इस क्षेत्र में महिलाओं का दायरा डॉक्टर व नर्स के रूप में मेडिकल प्रोफेशन तक ही सीमित था, वहीं 1992 में एविएशन, लॉजिस्टिक्स, लॉ, इंजीनियरिंग और एग्जीक्यूटिव कैडर में उनके लिए प्रवेश के द्वारा खाेले गये. यह भारतीय सेना द्वारा समानता की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसके बाद महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए सरकार एवं सेना द्वारा कई सकारात्मक फैसले लिये गये. हाल में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना की सभी 10 शाखाओं में महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन देने की बात कही है. खुशी की बात है कि देश की तीनों सेनाओं में महिला अफसरों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इनमें सबसे आगे भारतीय वायुसेना है, जहां 13 प्रतिशत से ज्यादा महिला अफसर हैं.
प्रिया झिंगन : स्नातक के दिनों में अखबार पढ़ते हुए प्रिया झिंगन ने भारतीय सेना की तरफ से जारी एक इश्तहार देखा, जिसमें सिर्फ पुरुषों की भर्ती की बात लिखी थी. इससे आहत होकर उन्होंने सेना प्रमुख को पत्र लिखा और महिलाओं को सेना में शामिल करने का सुझाव दिया. उन्हें जवाब मिला कि जल्द ही भारतीय सेना में महिलाओं की नियुक्ति भी शुरू की जायेगी. इस जवाब के एक साल बाद ही सेना में महिलाओं की भर्ती का विज्ञापन आया. अपनी काबीलियत पर भरोसा कर प्रिया ने परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन कर दिया. चयनित महिलाओं की लिस्ट में उनका नाम शीर्ष पर रहा. वह ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी, चेन्नई में कैडेट 001 के रूप में दाखिल होनेवाली पहली महिला बनीं.
दिव्या अजीत कुमार : कैप्टन दिव्या अजीत कुमार भारतीय सेना की ऐसी पहली महिला कैडेट हैं, जिन्हें स्वार्ड ऑफ ऑनर से नवाजा गया है. उन्होंने गणतंत्र दिवस (26 जनवरी, 2015) के अवसर पर सेना की एक ऑल विमेन कंटीजेंट का परेड में नेतृत्व किया. चेन्नई की रहनेवाली दिव्या कुमार एक तमिल परिवार से हैं. उन्होंने बचपन में राजपथ पर परेड देखकर आर्मी में जाने का सपना संजोया. अपने सपने को साकार करने के लिए स्कूल में एनसीसी ज्वॉइन की और बाद में ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी ज्वॉइन की. खुद की एक अलग जगह बनानेवाली दिव्या महिलाओं की प्रेरणास्रोत हैं. उन्हें जब भी मौका मिलता है अपने आस-पास के स्कूलों में जाकर अन्य छात्राओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करती हैं.
मिताली मधुमिता : मेजर मिताली मधुमिता भारतीय सेना में अपनी बहादुरी और विशिष्ट सेवा के लिए गैलेंट्री अवॉर्ड जीतनेवाली पहली महिला हैं. काबुल में नूर गेस्टहाउस में उन्होंने तालिबानी आतंकियों के हमले के बावजूद अपने घायल साथी अधिकारियों को बचाया. दक्षिण पश्चिमी कमान द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में मेजर मिताली को सैन्य स्टेशन पर उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये वीरता पुरस्कार दिया गया. मधुमिता पहली ऐसी महिला अधिकारी हैं, जिन्हें भारतीय सेना ने सेना मेडल से सम्मानित किया है.
सोफिया कुरैशी : लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी एक मल्टी नेशनल मिलिट्री एक्सरसाइज में भारत का नेतृत्व करनेवाली पहली महिला अधिकारी हैं. एक्सरसाइज फोर्स-18, भारत द्वारा आयोजिस सबसे बड़ा युद्धाभ्यास है. इसमें हिस्सा लेनेवाले 18 दलों में वह नेतृत्व करनेवाली एकमात्र महिला अधिकारी हैं. गुजरात की रहनेवाली सोफिया बायोकेमिस्ट्री से पोस्टग्रेजुएट हैं. वर्तमान में देश की सेवा कर रही सोफिया भारतीय सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के अंतर्गत 1999 में शामिल हुई थीं. इस दौरान उनकी उम्र महज 17 साल की थी. सोफिया सेना के सिग्नल कॉर्प्स में ऑफिसर हैं.
सशस्त्र बलों (एएमसी, एडीसी और एमएनएस को छोड़कर) की तीन सेवाओं में महिला अधिकारियों का प्रतिशत (2019 के अनुसार)
भारतीय सेना में: 3.89%
वायु सेना में: 13.28%
नौसेना में: 6.7%