पुणे/नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छत्रपति शिवाजी महाराज से तुलना करने वाली एक विवादित पुस्तक के खिलाफ पुणे में सोमवार को राकांपा और संभाजी ब्रिगेड ने प्रदर्शन किया. वहीं, शिवसेना ने इस पुस्तक को अपमानजनक करार दिया है जबकि भाजपा ने पूरे प्रकरण से किनारा कर लिया है. विवादित पुस्तक ‘आज के शिवाजी : नरेंद्र मोदी’ भाजपा के (सदस्य) जय भगवान गोयल ने लिखी है.
इसके खिलाफ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने सोमवार को पुणे के लालमहल इलाके के बाहर प्रदर्शन किया. राकांपा नेता प्रशांत जगताप ने इस तुलना (मोदी की शिवाजी से तुलना) की निंदा करते हुए कहा कि यह ‘मराठा शासक के गौरवपूर्ण इतिहास को मिटाने का प्रयास’ है. संभाजी ब्रिगेड के पदाधिकारी संतोष शिंदे ने कहा कि पुस्तक को 48 घंटे में वापस लिया जाए और अगर ऐसा नहीं हुआ तो और अधिक प्रदर्शन होंगे.
जगताप ने आरोप लगाया, ‘आज शिवाजी महाराज से तुलना की गयी, कल, राजस्थान में यह महाराणा प्रताप से की जा सकती है. यह इतिहास के महान आदर्शों को मिटाने का भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का एजेंडा है.’ शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छत्रपति शिवाजी महाराज से तुलना करने वाली पुस्तक को ‘अपमानजनक’ बताते हुए सोमवार को मांग की कि इस पुस्तक पर प्रतिबंध लगाया जाए.
उन्होंने कहा कि मराठा योद्धा के वंशजों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उन्हें उनकी (शिवाजी) तुलना मोदी से किया जाना पसंद है या नहीं. राउत ने यहां संवाददाताओं से कहा कि किसी की शिवाजी महाराज से तुलना ‘अस्वीकार्य’ है और यह पुस्तक प्रधानमंत्री को खुश करने के लिए किसी ‘चाटुकार’ का काम प्रतीत होती है.
उन्होंने कहा कि भाजपा को यह घोषणा करनी चाहिए कि इस पुस्तक से उसका कोई लेना-देना नहीं है. राज्य की महाराष्ट्र विकास अघाडी सरकार ने इस पुस्तक की निंदा की है. वहीं, भाजपा ने इस पूरे प्रकरण से किनारा करते हुए कहा कि उसका पुस्तक से कोई लेना देना नहीं है और यह लेखक की निजी राय है.
भाजपा के मीडिया प्रकोष्ठ के सहप्रभारी संजय मयुख ने नयी दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि पुस्तक के लेखक जय भगवान गोयल, जो पार्टी के सदस्य हैं, ने भी पुस्तक के उन हिस्सों की समीक्षा करने की इच्छा जताई है जिसे समाज के कुछ हिस्सों ने आपत्तिजनक पाया है. गोयल ने से कहा कि वह पुस्तक के उन हिस्सों की समीक्षा करने को इच्छुक हैं, जिसपर विपक्षी नेताओं ने आपत्ति जतायी है.
उन्होंने कहा, ‘मैं केवल पाठकों को यह बताना चाहता था कि कैसे मोदी ने शिवाजी की तरह सभी को साथ लाने के लिए काम किया और वह उस काम को करने में सफल हुए जिसे अन्य नामुमकिन मानते थे. अगर कुछ लोगों की भावना आहत हुई है तो मैं पुस्तक के उस हिस्सों की समीक्षा करना चाहता हूं.’