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निर्भया कांड : मुकेश व विनय ने दायर की क्यूरेटिव पिटीशन

नयी दिल्ली : निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड के चार दोषियों में से दो विनय कुमार शर्मा और मुकेश सिंह ने फांसी के फंदे से बचने के लिए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुधारात्मक याचिका (क्यूरेटिव पिटीशन) दायर की. शीर्ष अदालत के फैसले पर पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद दोषियों के पास यह अंतिम कानूनी […]

नयी दिल्ली : निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड के चार दोषियों में से दो विनय कुमार शर्मा और मुकेश सिंह ने फांसी के फंदे से बचने के लिए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुधारात्मक याचिका (क्यूरेटिव पिटीशन) दायर की. शीर्ष अदालत के फैसले पर पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद दोषियों के पास यह अंतिम कानूनी विकल्प बचा है.

याचिका में दोनों ने फांसी पर रोक की मांग की है. बता दें कि दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सात जनवरी को चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी कर दिया था. हालांकि, अभी तक जो सुप्रीम कोर्ट की परंपरा रही है, उसमें रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मामले में ही शीर्ष अदालत ने क्यूरेटिव पिटीशन में अपना फैसला पलटा है.
ऐसे में दोषियों की फांसी टलना मुश्किल लग रहा है. सभी चारों दोषियों (मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह) को 22 जनवरी की सुबह सात बजे एक साथ तिहाड़ की जेल नंबर-3 में फांसी पर लटकाया जाना है. इसके लिए यूपी के जेल विभाग की ओर से तिहाड़ में जल्लाद भेजे जाने के लिए हामी भर दी गयी है. तिहाड़ जेल ने यूपी से दो जल्लाद मांगे हैं.
विनय की दलील : विनय कुमार शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि मेरी सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों, बीमार माता-पिता सहित परिवार के आश्रितों और जेल में उसके अच्छे आचरण तथा उसमें सुधार की संभावना के बिंदुओं पर पर्याप्त विचार नहीं किया गया है. उसके साथ न्याय नहीं हुआ है.
निर्भया केस के दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर की रिव्यू पिटीशन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने अक्षय की रिव्यू पिटीशन खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में दोषी के वकील को पूरा मौका दिया गया, लेकिन दोषी के वकील ने कोई नयी बात नहीं की है.
निर्भया के सभी दोषी करेंगे अंग दान ?
अंग दान करने के लिए मनाने पर याचिका
दिल्ली की एक अदालत में गुरुवार को एक याचिका दायर कर निर्भया के दोषियों को अंग दान करने के लिए मनाने का अनुरोध किया गया है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार अरोड़ा की अदालत ने लोक अभियोजक के अनुरोध के बाद मामले की सुनवाई शुक्रवार तक टाल दी. याचिका में दोषियों से मुलाकात करने की अनुमति मांगी गयी है, ताकि उन्हें अंग दान करने के लिए मनाया जा सके.
पहली बार 1983 में एक साथ चार को हुई थी फांसी
इससे पहले, 1983 में पुणे में सनसनीखेज जोशी-अभयंकर हत्या मामले में चार दोषियों को एक साथ यरवदा केंद्रीय जेल में फंदे पर लटकाया गया था. राजेंद्र जक्कल, दिलीप सुतार, शांताराम कन्होजी जगताप और मुनावर हारून शाह को 25 अक्तूबर, 1983 को फांसी दी गयी थी. जोशी-अभयंकर सिलसिलेवार हत्याओं में उन्होंने जनवरी 1976 और मार्च 1977 के बीच 10 हत्याएं की थीं.
क्या है क्यूरेटिव पिटीशन
क्यूरेटिव पिटीशन दोषियों को कानून की तरफ से मिलने वाला एक अधिकार है. इस पिटीशन को तब दाखिल किया जाता है, जब किसी दोषी की राष्ट्रपति के पास भेजी गयी दया याचिका और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाती है. ऐसे में क्यूरेटिव पिटीशन दोषी के पास मौजूद अंतिम मौका होता है, जिसके द्वारा वह अपने लिए निर्धारित की गयी सजा में नरमी की गुहार लगा सकता है.

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