बैरिया : बुधवार का दिन क्षेत्रवासियों के लिए आफत का दिन रहा. बादलों की पूरा दिन घेराबंदी रही, सूरज का दर्शन पूरे दिन नहीं हुआ. सड़क, बाजार, गांव के चौपाल व चट्टी चौराहा सब सुनसान से रहे.
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बादलों की घेराबंदी के बाद सूरज ने भी मानी हार
बैरिया : बुधवार का दिन क्षेत्रवासियों के लिए आफत का दिन रहा. बादलों की पूरा दिन घेराबंदी रही, सूरज का दर्शन पूरे दिन नहीं हुआ. सड़क, बाजार, गांव के चौपाल व चट्टी चौराहा सब सुनसान से रहे. विद्यालय तो खुले लेकिन छात्रों की उपस्थिति नाममात्र की रही. सबसे ज्यादा परेशानी क्षेत्र के दिहाड़ी मजदूरों, ठेला, […]
विद्यालय तो खुले लेकिन छात्रों की उपस्थिति नाममात्र की रही. सबसे ज्यादा परेशानी क्षेत्र के दिहाड़ी मजदूरों, ठेला, खोमचा वालों, व पटरी के दुकानदारों काे है. इन्हें रोज के कमाई पर भरण पोषण करना पड़ता है. राजमिस्त्री और मजदूरों आदि के लिए तो जैसे शामत का दिन है. रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है.
भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. आज के दिन एक तो धुंध, कुहरा व बादलों के छाये रहने वाला दिन रहा. ऊपर से रह रह कर बूंदाबांदी कोढ मे काज साबित हुआ. सड़कों पर लोग कम आये. बहुत जरूरी होने पर ही लोग अपने घरों से निकले. खेतों में किसान अपने आलू के खेत को सुरक्षित करने के लिए इस ठंड व गलन भरे माहौल में दवा का छिड़काव करते देखे गये.
इस साल पूरे ठंड में अभी तक कहीं भी सरकारी स्तर पर अलाव की कहीं भी व्यवस्था नहीं की गयी. लोग या तो अपने निजी अलाव जलाये या कुछ प्रधानों ने अलाव जलवाया. नगर पंचायत में भी दो चार जगह छोड़ दें तो कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं दिखी. इस ठंड के माहौल में अभिभावक यह प्रतीक्षा करते देखे गये कि जिलाधिकारी प्राथमिक विद्यालयों में फिर से छुट्टी की कब घोषणा कर रहे हैं. ठंड गलन बूंदाबांदी और बादलों की वजह से जनसामान्य का जनजीवन बेपटरी रही.
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