<figure> <img alt="जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष" src="https://c.files.bbci.co.uk/76C3/production/_110430403_gettyimages-1192405762.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष</figcaption> </figure><p>जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष का सिर किसने फोड़ा, एबीवीपी छात्रों के हाथ किसने तोड़े, जेएनयू में लाठी डंडे कैसे आए? </p><p>वो नक़ाबपोश कौन थे? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब दिल्ली पुलिस तलाशने की कोशिश करेगी. </p><p>लेकिन दिल्ली पुलिस लगभग चार साल बाद भी ये पता नहीं लगा पाई है कि 9 फरवरी 2016 की शाम जेएनयू में ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ नारे किसने लगाए… </p><p>ऐसे में 5 जनवरी की शाम खून ख़राबा करने वाले व्यक्तियों, संगठनों तक कब पहुंच पाएगी, ये वक़्त ही बताएगा.</p><p>बीबीसी ने इस विश्वविद्यालय के छात्रों, छात्रसंघ नेताओं, शिक्षकों और सुरक्षाकर्मियों से बात करके उन बिंदुओं की पड़ताल की है जो 5 जनवरी की शाम हुई हिंसा के लिए ज़मीन तैयार करते हुए दिखते हैं.</p><figure> <img alt="जेएनयू" src="https://c.files.bbci.co.uk/C4E3/production/_110430405_hi058977758.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> <figcaption>जेएनयू में पांच तारीख़ को हुए हमले के बाद हॉस्टल रूम का हाल</figcaption> </figure><h3>5 जनवरी की शाम क्या हुआ?</h3><p>शाम लगभग 5 से 7 के बीच अचानक इंटरनेट पर एक तस्वीर और वीडियो वायरल होता है. </p><p>इस वीडियो में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष के सिर से ख़ून बहता हुआ दिखता है.</p><p>देखते ही देखते इंटरनेट पर ये वीडियो वायरल हो जाता है और कई पूर्व छात्र, मीडियाकर्मी जेएनयू कैम्पस में दाख़िल होने लगते हैं. </p><p>देर शाम तक जेएनयू के दो दर्जन से अधिक छात्र गंभीर चोटों के साथ एम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हो जाते हैं.</p><p>इसके बाद इंटरनेट पर वो वीडियो प्रसारित होने लगते हैं, जिनमें कुछ नकाबपोश हाथ में लाठियां और धारदार हथियार लिए छात्रों को मारते और भगाते हुए दिख रहे हैं.</p><p>इसके बाद एक वीडियो आता है जिसमें कई नक़ाबपोश हाथों में लाठी-डंडे लिए बिना किसी रोकटोक के यूनिवर्सिटी कैम्पस से बाहर निकल हुए दिखते हैं.</p><p>लेकिन सवाल उठता है कि आख़िर जेएनयू में बाहरी लोग कैसे आए और उन्हें अंदर लेकर कौन आया?</p><h3>सवालों के घेरे में जेएनयू प्रशासन</h3><p>आमतौर पर जेएनयू कैम्पस में बाहरी लोगों का आना आसान नहीं है. </p><p>मीडियाकर्मियों तक को जेएनयू में प्रवेश करने से पहले मुख्य द्वार के पास मौजूद सुरक्षाकर्मियों के पास एंट्री करनी होती है. नाम, मोबाइल नंबर, उसका नाम जिससे मिलना होता है आदि एंट्री रजिस्टर में लिखना होता है. </p><p>यही नहीं, जिस व्यक्ति से आप मिलने गए हैं, उनकी बात मुख्य द्वार पर तैनात सुरक्षाकर्मियों से करानी होती है. </p><figure> <img alt="जेएनयू" src="https://c.files.bbci.co.uk/1489B/production/_110432148_gettyimages-1192405767.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>सुरक्षाकर्मी पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद ही किसी भी व्यक्ति को जेएनयू परिसर में जाने की इजाज़त देते हैं.</p><p>ऐसे में इतनी चाकचौबंद व्यवस्था होने के बाद भी बाहरी लोग जेएनयू में कैसे घुसे…?</p><p>जेएनयू की सिक्यूरिटी टीम इस समय भारतीय सेना के रिटायर्ड जवानों से लैस है. </p><p>ऐसे में सेना की ट्रेनिंग वाले सुरक्षाकर्मियों के रहते हुए जेएनयू परिसर में लाठी-डंडे कैसे पहुंचे?</p><p>जेएनयू प्रशासन ने अपनी ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में इन सवालों के जवाब नहीं दिए हैं. </p><p>लेकिन जेएनयू वीसी की ओर से 5 जनवरी, 2020 को जारी इस पत्र में ये बताया गया है कि पांच जनवरी को घटी हिंसक घटना के तार बीते पांच दिनों से यूनिवर्सिटी कैम्पस में जेएनयूएसयू और एबीवीपी छात्रों के बीच जारी संघर्ष से जुड़े हुए हैं. </p><p>लेकिन सवाल उठता है कि नए साल के पहले हफ़्ते में ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से जेएनयू में छात्रों के बीच हिंसक झड़पें होना शुरू हुईं. </p><p><strong>एबीवीपी और जेएनयूएसयू के बीच हिंसा क्यों हुई</strong><strong>?</strong></p><p>जेएनयू परिसर में साल के पहले हफ़्ते में जो हुआ, उसके तार सीधे-सीधे फीस वृद्धि के लिए हुए विरोध प्रदर्शनों से जुड़े हुए हैं. </p><p>साल 2019 के आख़िरी महीनों में हॉस्टल फीस वृद्धि को लेकर जेएनयूएसयू और विश्वविद्यालय प्रशासन आमने-सामने था. </p><p>अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और जेएनयूएसयू दोनों फ़ीस बढ़ोत्तरी के ख़िलाफ़ थे.</p><figure> <img alt="जेएनयू" src="https://c.files.bbci.co.uk/1403/production/_110432150_gettyimages-1192226201.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>लेकिन धीरे-धीरे दोनों गुटों में दरार आती चली गई और आख़िरकार ये दरार 5 जनवरी को हुई हिंसा के रूप में सामने आई. </p><p>एबीवीपी के छात्र नेता मनीष जांगिड़ इसकी वजह बताते हैं. </p><p>जांगिड़ कहते हैं, "हम पहले भी फीस वृद्धि के ख़िलाफ़ थे और अब भी हैं. लेकिन जब तक ये विरोध प्रदर्शन फीस वृद्धि के ख़िलाफ़ था तब तक हम विरोध कर रहे थे. लेकिन जब इन विरोध प्रदर्शनों में नागरिकता संशोधन क़ानून जैसे मुद्दों का विरोध शामिल हो गया, शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार किया गया. तब हमनें ख़ुद को इससे अलग किया."</p><p>मनीष जांगिड़ शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार की बात करते हुए नवंबर महीने की उस घटना का ज़िक्र करते हैं जब <a href="https://indianexpress.com/article/education/over-110-jnu-teachers-disassociate-themselves-from-jawaharlal-nehru-university-teachers-association-6131616/">जेएनयू की एसोसिएट डीन वंदना मिश्रा</a> को बंधक बनाए जाने और उनके साथ हाथापाई करने की ख़बरें आई थीं. </p><p>इस घटना के बाद 100 से ज़्यादा शिक्षकों ने जेएनयूटीए से नाता तोड़ते हुए एक नया संगठन बनाया. </p><p>वंदना मिश्रा के साथ हुए बर्ताव पर जेएनयूएसयू से जुड़ीं छात्र नेता अपेक्षा अपना पक्ष रखते हुए बताती हैं, "28 अक्तूबर को इंटर हॉल एडमिनिस्ट्रेशन मीटिंग बुलाए जाने से पहले ही नए हॉस्टल नियमों को लेकर सर्कुलर जारी किया गया. नए नियमों को लेकर छात्रों से सुझाव मांगे गए और छात्रों ने इन नियमों का विरोध किया. इसके बाद 28 अक्तूबर को इंटर हॉल एडमिनिस्ट्रेशन की मीटिंग में छात्रों के प्रतिनिधियों को बुलाए बिना, नए नियमों को पास कर दिया जाता है."</p><p>"इसके बाद एग्जिक्यूटिव काउंसिल की मींटिग में तीन सदस्यों की अनुपस्थिति में भी ये नए नियम स्वीकार कर लिए जाते हैं. इन नियमों में फीस वृद्धि एक बड़ा मुद्दा था. एबीवीपी ने शुरुआत में ये दिखाने की कोशिश की कि वे फीस वृद्धि के मुद्दे पर छात्रों के साथ हैं. क्योंकि उनका समर्थन करने वाले छात्रों ने इसकी मांग उठाई थी." </p><p>"लेकिन जब छात्रों ने वंदना मिश्रा से ये सवाल किया कि वे छात्रों के ख़िलाफ़ जाने वाले ऐसे नियमों को पास क्यों करा रही हैं तो एबीवीपी छात्र उन्हें बचाने की कोशिश करते हैं. छात्रों के साथ धक्का-मुक्की करते हैं. इस घटना के बाद जगजाहिर हो गया कि एबीवीपी जेएनयू प्रशासन के साथ मिला हुआ है"</p><figure> <img alt="जेएनयू" src="https://c.files.bbci.co.uk/6223/production/_110432152_gettyimages-1183266866.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>इस घटना के बाद कई छात्रों ने इसी विरोध के चलते इम्तिहान नहीं दिए. और उनकी पढ़ाई का मूल्यांकन भी नहीं हुआ.</p><p>इसके बाद से 1 जनवरी तक एबीवीपी और जेएनयूएसयू छात्र नेताओं के बीच अलग-अलग मौक़ों पर छिटपुट झड़पें सामने आती रहीं. </p><p>लेकिन सवाल उठता है कि 1 जनवरी को ऐसा क्या हुआ कि इसके पांच दिन के अंदर ही दोनों गुटों की आपसी तकरार ख़ून-ख़राबे तक पहुंच गई. </p><figure> <img alt="जेएनयू" src="https://c.files.bbci.co.uk/102AF/production/_110432266_gettyimages-1183264353.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>1 से 4 जनवरी के बीच क्या हुआ?</h3><p>28 अक्तूबर के बाद से जेएनयूएसयू के नेतृत्व में जेएनयू छात्रों ने अपने कैम्पस में और कैम्पस के बाहर दिल्ली की सड़कों पर फीस वृद्धि का विरोध किया. </p><p>शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करते छात्रों पर दिल्ली पुलिस की ओर लाठीचार्ज किया गया. तमाम छात्रों को गंभीर चोटें आईं. कई नेत्रहीन छात्रों को भी लाठीचार्ज का सामना करना पड़ा. </p><figure> <img alt="जेएनयू" src="https://c.files.bbci.co.uk/B043/production/_110432154_gettyimages-1182563473.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>दिल्ली पुलिस पर महिलाओं के साथ बर्बर व्यवहार किए जाने के आरोप लगाए गए.</p><p>इस सबके बीच मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने दो बार समितियां गठित करके छात्रों के साथ फीस वृद्धि के मौके पर संवाद स्थापित करने की कोशिश की. </p><p>10 और 11 दिसंबर, 2019 को एमएचआरडी और जेएनयूएसयू के बीच <a href="https://pib.gov.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=195821">कुछ शर्तों को लेकर सहमति बनी. </a></p><p>इनमें ये बात तय हुई कि अगला आदेश आने तक सेवा शुल्क और यूटीलिटी चार्जेज़ का वहन यूजीसी करेगा.</p><figure> <img alt="जेएनयू" src="https://c.files.bbci.co.uk/150CF/production/_110432268_gettyimages-1183266796.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>लेकिन 1 जनवरी को जेएनयू प्रशासन की ओर से छात्रों को नए सेमेस्टर में पंजीकरण के लिए ईमेल भेजा गया. </p><p>जेएनयूएसयू छात्र नेता दीपाली बताती हैं, "एक ही दिन में प्रशासन की ओर से तीन तीन ईमेल भेजे गए. इन इमेल में उन शर्तों का पालन नहीं किया गया जिन पर एमएचआरडी की मीटिंग में सहमति बनी थी. और तो और प्रशासन ने नियमों का उल्लंघन करते हुए सभी छात्रों को अगले सेमेस्टर में रजिस्ट्रेशन करने के लिए कहा. जेएनयूएसयू ने इसका विरोध किया और हमारा विरोध अभी भी जारी है."</p><h3>जेएनयूएसयू क्यों कर रहा है विरोध?</h3><p>जेएनयूएसयू रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया का विरोध कर रही है. लेकिन एबीवीपी इसके समर्थन में है. </p><p>मनीष जांगिड़ कहते हैं, "जब 1 जनवरी को पंजीकरण का ईमेल आया तो कई छात्रों ने अपना पंजीकरण कराया. ऐसे में जब वामपंथी छात्रों को लगा कि ये आंदोलन उनके हाथ से निकल रहा है तो उन्होंने अपना आंदोलन तेज़ किया. ऑफ़लाइन पंजीकरण बंद कराया. इसके बाद प्रशासन ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू की."</p><p>"ये रजिस्ट्रेशन का विरोध कर रहे हैं. अगर पंजीकरण ही नहीं होगा तो यहां पढ़ाई कैसे होगी. पहला उद्देश्य पढ़ाई करना है या क्रांति करना है?"</p><p>लेकिन सवाल उठता है कि जेएनयूएसयू इसका विरोध क्यों कर रहे हैं.</p><p>अपेक्षा बताती हैं कि जेएनयू प्रशासन की ओर से बिना पूर्व सेमेस्टर का मूल्यांकन हुए नए सेमेस्टर में पंजीकरण कराया जा रहा है जो कि जेएनयू के नियमों के मुताबिक़ नहीं है. </p><p>बीबीसी ने इस तर्क को समझने के लिए जेएनयू प्रोफेसर आयशा किदवई से बात की. </p><p>किदवई बताती हैं, "जेएनयू की डिग्री के कुछ मायने होते हैं. कुछ तय नियम और शर्तें हैं जिनके पालन के बाद ही डिग्री जारी की जा सकती है. हर कोर्स का सिलेबस और उसके मूल्यांकन की प्रक्रिया तय है. और ये सेमेस्टर शुरू होने से पहले छात्रों को देनी होती है."</p><figure> <img alt="जेएनयू" src="https://c.files.bbci.co.uk/13AF9/production/_110433608_gettyimages-1192410290.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>जेएनयू वीसी जगदीश कुमार (मध्य में)</figcaption> </figure><p>"जेएनयू के नियमों में ऐसी कोई व्यवस्था ही नहीं है कि बीए के छात्र वर्तमान सेमेस्टर के मूल्यांकन के पहले नए सेमेस्टर में पंजीकरण करा सकें. ऐसे में जेएनयू वीसी ऐसा कैसे करा सकते हैं. ये पूरा विरोध नियमों के उल्लंघन को लेकर है."</p><p><strong>आ</strong><strong>इ</strong><strong>शी के ख़िलाफ़ क्यों हुई एफ़आईआर</strong></p><p>दिल्ली के वसंत कुंज नॉर्थ थाने में जेएनयूएसयू आइशी घोष समेत कई छात्र नेताओं के ख़िलाफ़ सर्वर रूम में तोड़ फोड़ करने के मामले में एफ़आईआर दर्ज की गई है. </p><p>एबीवीपी के नेता मनीष जांगिड़ कथित रूप से सर्वर रूम तोड़े जाने की घटना बयां करते हैं.</p><p>मनीष जांगिड़ बताते हैं, "जब रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को ऑनलाइन बनाया गया तो वामपंथी छात्रों ने सर्वर रूम तहस-नहस कर दिया. इससे इंटरनेट ठप हो गया. लेकिन इसके चार घंटे बाद एक बार फिर ये प्रक्रिया शुरू की गई. मगर फिर एक बार भीड़ ने जाकर सर्वर रूम में तहस-नहस की. और इस भीड़ में नकाब पोश लोग शामिल थे."</p><p>बीबीसी ने इस दावे की पड़ताल के लिए उस सर्वर रूम का रुख़ किया जिसे तोड़ने के मामले में आइशी घोष समेत कई छात्र नेताओं के ख़िलाफ़ वसंत कुंज थाने में एफ़आईआर दर्ज की गई है. </p><p>पहली नज़र में देखें तो सर्वर रूम का दरवाज़ा और उसके साथ लगी मशीनें महफूज़ नज़र आती हैं. </p><figure> <img alt="जेएनयू" src="https://c.files.bbci.co.uk/0193/production/_110430400_img_1676.jpg" height="1048" width="1048" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>जेएनयू का वो सर्वर रूम जहां पर तोड़-फोड़ करने के मामले में आइशी घोष के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई है.</figcaption> </figure><p>यहाँ किसी भी तरह की टूट-फूट नहीं दिखती.</p><p>हालांकि, दरवाज़े के पीछे की स्थिति को लेकर किसी तरह का दावा नहीं किया जा सकता.</p><p>लेकिन इसी सर्वर रूम के सामने छात्रों के बीच हुए संघर्ष के वीडियोज़ देखें तो एबीवीपी का विरोध कर रहे छात्रों को नक़ाब पहने हुए देखा जा सकता है.</p><h3>3 और 4 तारीख़ को क्या हुआ?</h3><p>ऑफ़लाइन रजिस्ट्रेशन और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन को लेकर जेएनयूएसयू और एबीवीपी के बीच पांच तारीख़ से पहले तक लगातार छिटपुट हिंसक घटनाएं होती रहीं. </p><p>एक छात्र ने नाम न बताने की शर्त पर इन दो दिनों में हुई घटनाओं का ज़िक्र किया.</p><p>"बीते चार दिनों में जो कुछ हुआ है, उसकी वजह बस इतनी है कि उसने दोनों गुटों के नेताओं को फ्रस्ट्रेट कर दिया था. एबीवीपी के पास तर्कों की कमी होती जा रही थी. और वहीं, जेएनयूएसयू रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के ऑनलाइन होने से फ्रस्ट्रेट हो गया था. क्योंकि ऐसे में छात्र अपने अपने हॉस्टलों से नए सेमेस्टर के लिए पंजीकरण करा रहे थे और उनका आंदोलन निष्प्रभावी साबित होता दिख रहा था. इसने दोनों पक्षों के बीच तीख़ी झड़पों को जन्म दिया. ये भी सच है कि हिंसा दोनों ओर से की गई. और ये भी सच है कि एबीवीपी वालों ने बाहर से लड़कों को बुलवाकर मारपीट की."</p><h3>पांच तारीख़ की शाम हिंसा कैसे हुई?</h3><p>ये छात्रा कहते हैं, "उस दिन रात में जो कुछ हुआ, वो बहुत डरावना था. एबीवीपी वालों ने जेएनयूएसयू से बदला लेने के लिए बाहर से कुछ लोगों को बुलवाया. ये लोग छोटे-छोटे समूहों में आए. कुछ लाठी-डंडे गाड़ियों में लाए गए. कुछ पेड़ों की टहनियों को तोड़कर डंडे बनाए गए थे. लेफ़्ट वाले सबक सिखाने के लिए आक्रामक हुए थे लेकिन एबीवीपी के बुलाए लड़कों ने बर्बर ढंग से छात्रों की पिटाई की."</p><p>दिल्ली पुलिस ने इस मसले की जांच शुरू कर दी है. </p><p>लेकिन इस हिंसा और हिंसक माहौल के लिए ज़िम्मेदार पक्षों की ज़िम्मेदारी कब तय की जाएगी, ये तो वक़्त ही बताएगा. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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