लखीसराय : 14 जनवरी को जिलेभर में आयोजित होने वाली मकर संक्रांति महापर्व के मध्य नजर लखीसराय मुख्य बाजार में तिलकुट, तिलवा, घीवर, दूध, दही, चूड़ा, फड़ही, अरहर का दाल आदि का डिमांड काफी तेज हो गया है.
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बाजार में बढ़ी रौनक : चूड़ा, तिलकुट व दही की मांग तेज
लखीसराय : 14 जनवरी को जिलेभर में आयोजित होने वाली मकर संक्रांति महापर्व के मध्य नजर लखीसराय मुख्य बाजार में तिलकुट, तिलवा, घीवर, दूध, दही, चूड़ा, फड़ही, अरहर का दाल आदि का डिमांड काफी तेज हो गया है. इसके चलते बाजार में भी तिलकुट, तिलकतरी, घीबर, तिल-पापड़ी, चक्की-भूरा, रेवाड़ी,तिलवा सहित दूध-दही के भी मांग बढ़ने […]
इसके चलते बाजार में भी तिलकुट, तिलकतरी, घीबर, तिल-पापड़ी, चक्की-भूरा, रेवाड़ी,तिलवा सहित दूध-दही के भी मांग बढ़ने लगा है. इसके चलते पूरे बाजार मकर संक्रांति महापर्व की सौगात से पट गया है. फुटपाथ एवं ठेला से लेकर बड़े-बड़े थोक विक्रेताओं के द्वारा बृहद पैमाने पर मकर संक्रांति की सौगात की बिक्री परवान पर कायम है.
इस दौरान चीनी, तिल, तिल-पापड़ी का अलग-अलग डिमांड लोगों में बढ़ने लगी है. अक्सर घरों में दूध से दही बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दिया गया है. लोग मकर संक्रांति के अवसर पर अपने परिजनों के पास दही, चुड़ा, तिलकुट व दिलवा पहुंचाने के लिए तैयारियां प्रारंभ कर दिये हैं.
इसके चलते बाजार में इन सामानों की मांग काफी तेज हो गयी है. जिसके चलते बाजार में इन सामानों के दरों में भी काफी बढ़ोतरी देखा जा रहा है. आम लोगों के द्वारा भी अपनी-अपनी हैसियत के अनुसार तिलकुट, तिलवा, तिलकतरी, घीर, तिल-पापड़ी, चक्की-भूरा, रेवड़ी आदि की खरीदारी परवान पर जारी है.
इस दौरान तिलकुट के भी कई प्रकार के क्वालिटी बाजार में लाये गये है, इसमें चीनी, खोवा आदि के सामानों के अलग-अलग दर निर्धारित किया गया है. ग्राहकों की ओर से अपनी अपनी इच्छा के अनुसार मकर संक्रांति पर्व के सामानों की खरीद बिक्री प्रारंभ कर दिया गया है. इस बीच बाजार से अरहर की दाल एवं उजला एवं काला तिल की मांग भी काफी तेज हो गया है.
अक्सर लोगों के द्वारा अपनी पसंद के सामानों को पूर्व से बाजारों से बुकिंग कराया जा रहा है. लोग अपने-अपने परिजनों के पास अपनी औकात के अनुसार सामानों को खरीद कर उसी पैकिंग करवाकर अपने परिजनों एवं शुभचिंतकों के बीच पहुंचाने पर आमदा है.
मकर संक्रांति को लेकर पूरे बाजार तिलकुट से पट गया है तो दूसरी ओर इस अवसर पर बाजार में लगी चूड़ा, फरही आदि की डिमांड तेज दिखने लगे हैं, बाजार में कई प्रकार के चूड़ा भी देखे जा रहे हैं. कतरनी, भागलपुरी, बासमती आदि चूड़ी की डिमांड भी दिखने लगी है तो दूसरी ओर गुड़ के बने सामानों में से तिलवा, तिलकुट, तिल-पापड़ी, तिलकतरी आदि का विशेष आर्डर के बाद दुकानदारों के द्वारा बनाये जाने की प्रक्रिया जारी है.
चूड़ा कुटवाने ट्रैक्टर से समूह में मील पर पहुंच रहे लोग
मेदनीचौकी : मकर संक्रांति का पर्व ज्यों-ज्यों नजदीक आता जा रहा है, लोग उसकी तैयारी भी शुरू कर दिया है. गोपालपुर, कबादपुर, पूर्वी व पश्चिमी सलेमपुर पंचायत के कुछ मौजे में आंशिक रूप से धान की फसल हुई है. जिससे मंगलवार को इन क्षेत्रों से चूड़ा कुटवाने के लिए समूह में ट्रैक्टर पर फुलाया हुआ धान मिल पर ले जाते देखा गया.
चूड़ा कुटवाने वाले लोगों ने बताया कि दर्जनों लोग आपसी सहमति बनाकर धान को रात में फूलने दिया गया, और सुबह उक्त धान को पानी से छान कर थोड़ा भरकने दिया गया, फिर बोरा में भर कर ट्रैक्टर से मिल पर कुटवाने के लिए ले जाया गया. लोगों ने कहा कि सूर्यगढ़ा प्रखंड के अलीनगर गांव में चूड़ा का तीन-चार मील है जहां सामुहिक रूप से भाड़े का ट्रैक्टर कर कुटवाने के लिए जाया जा रहा है.
जहां मील पर इक्ट्ठा एक ट्रैक्टर धान का चूड़ा कटवाने में कुटवाई भी कम लगता है. वहीं घर का कुटवाया चूड़ा में गजब का मिठास होता है. जबकि बाजारू चूड़ा में घर जैसा मिठास नहीं मिल पाता है. हालांकि बाजारू चूड़ा देखने में जरूर लाजवाब दिखता है, जबकि घरेलू चूड़ा खाने में मिठास व रसीला होता है.
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