नयी दिल्ली : दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने मंगलवार को निर्भया सामूहिक दुष्कर्म तथा हत्या कांड के चार दोषियों को फांसी पर लटकाये जाने का आदेश सुनाया जिसके बाद मौत की सजा पर बहस शुरू हो गयी.
वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका एम जॉन और वकील अवनी बंसल ने राय व्यक्त की कि मृत्युदंड से अपराध मुश्किल ही रुकते हैं और यह कोई समाधान नहीं है. हालांकि वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि मौत की सजा का प्रावधान रहना चाहिए क्योंकि इससे लोगों के बीच संदेश जाता है कि इतने जघन्य अपराध पर ऐसा ही सुलूक होगा.
जॉन ने कहा कि कार्यस्थलों, सड़कों और समाज को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाना ज्यादा जरूरी है और इससे अंतत: देश में बलात्कार की घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी.
बंसल ने कहा कि अपराधियों को दंडित करना अहम है, लेकिन मौत की सजा कोई प्रावधान नहीं है. वहीं सिंह ने कहा, आप जानते हैं कि अपराध कितना गंभीर है. इस तरह के अपराध में शामिल अपराधियों के नजरिये पर इसका जरूर रोकथाम वाला असर पड़ेगा.