पटना : नागरिकता संशोधन कानून 2019 (सीएए) को लेकर विपक्ष द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने के लिए भाजपा द्वारा शुरू किए गए देशव्यापी जनसंपर्क अभियान का पटना के दीघा विधानसभा क्षेत्र से आगाज करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि हाल में हुई ननकाना साहिब (पाकिस्तान) की घटना के बाद यह साबित हो गया है कि नागरिकता संशोधन कानून सही समय पर लिया गया एक उचित निर्णय है. सीएए का विरोध करने वाले राजद, कांग्रेस व अन्य विपक्षी पार्टियां सिखों के पवित्र गुरुद्वारे पर हमले के बाद चुप्पी क्यों साध लिए हैं? सीसीए का विरोध करने वालों को ननकाना साहिब से बड़ा और क्या प्रमाण चाहिए?
सुशील मोदी ने कहा कि पाकिस्तान स्थित सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल ननकाना साहिब गुरुद्वारे का नाम तब्दील कर ‘गुलामे मुस्ताफा’ करने के लिए पथराव व हमले कियेगये. जगजीत कौर नाम की एक लड़की का अपहरण कर जबरन धर्मांतरण कराया गया और एक मुस्लिम से उसकी शादी करायीगयी. पिछले 70 वर्षों से पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों को इसी तरह की प्रताड़ना का शिकार होते रहना पड़ा है. आखिर नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वाले राजद, कांग्रेस व अन्य विपक्षी नेताओं ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल को वहां के अल्पसंख्यकों पर धार्मिक अत्याचार, प्रताड़ना के और कितने प्रमाण चाहिए?
सीएए पाकिस्तान, बंग्लादेश व अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक भारत में आये शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए है न कि किसी की नागरिकता लेने के लिए है. वोट की राजनीति के तहत कांग्रेस, राजद व अन्य विपक्षियों ने विशेष कर मुसलमानों के बीच दुष्प्रचार किया ताकि देश का माहौल खराब हो. मगर यह भ्रमजाल काफी हद तक छंट चुका चुका है. भाजपा इस अभियान के तहत देश के 3 करोड़ घरों में संपर्क कर गलतफहमी दूर करेगी.
भारत विभाजन के बाद धार्मिक अल्पसंख्यकों को दोनों देशों में सुरक्षा देने के लिए 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ. भारत तो उस समझौते का पालन करता रहा, मगर इस्लामिक राज्य घोषित पाकिस्तान, बंग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) और अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों को धार्मिक प्रताड़ना, अत्याचार का शिकार हो कर बड़ी संख्या में भारत में शरण लेने के लिए विवश होना पड़ा. 1951 में पूर्वी पाकिस्तान में 22 प्रतिशत हिन्दू थे जो 2011 में घट कर मात्र 8.5 फीसदी रहगये. इसी प्रकार पाकिस्तान की हिंदू आबादी इसी अवधि में 13.5 से घट कर 1.5 प्रतिशत रह गयी. हाल में हुई ननकाना साहेब की घटना से धार्मिक प्रताड़ना की भयावहता को समझा जा सकता है.