आपका अगर प्रकृति से लगाव है और पेड़-पौधों के बीच रहना पसंद है, तो आप प्लांट पैथोलॉजिस्ट के ताैर पर भविष्य की नींव रख सकते हैं. इसमें आपको पेड़-पौधों के विकास एवं देखभाल का मौका मिलेगा, साथ ही मिलेगा एक बेहतरीन करियर. प्लांट एवं फॉरेस्ट पैथोलॉजी के क्षेत्र में जॉब की अच्छी संभावनाएं हैं…
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पेड़-पौधों से है प्यार बनें प्लांट पैथोलॉजिस्ट, जानें करियर की संभावनाएं
आपका अगर प्रकृति से लगाव है और पेड़-पौधों के बीच रहना पसंद है, तो आप प्लांट पैथोलॉजिस्ट के ताैर पर भविष्य की नींव रख सकते हैं. इसमें आपको पेड़-पौधों के विकास एवं देखभाल का मौका मिलेगा, साथ ही मिलेगा एक बेहतरीन करियर. प्लांट एवं फॉरेस्ट पैथोलॉजी के क्षेत्र में जॉब की अच्छी संभावनाएं हैं… शिखर […]
शिखर चंद जैन
बढ़ता प्रदूषण और तापमान वन संपदा के लिए खतरा बन गया है. महत्वपूर्ण वनस्पतियां अक्सर बैक्टीरिया व कीट-पतंगों के हमलों की शिकार होकर नष्ट हो जाती हैं. इनके हमले में बड़े-बड़े खेत ही नहीं, जंगल के जंगल नष्ट हो जाते हैं. हर वर्ष गर्मी के मौसम में जंगलों में लगनेवाली आग से बड़े पैमाने पर पेड़ आैर कई तरह की वनस्पतियां समाप्त हो जाती हैं. वन संपदा का तेजी से नष्ट होना दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन व प्रदूषण का सबब बन गया है. ऐसे संकट में प्लांट या फॉरेस्ट पैथोलॉजिस्ट को याद किया जाता है.
क्या करते हैं प्लांट पैथोलॉजिस्ट
प्लांट पैथोलॉजिस्ट एक प्रकार से पेड़-पौधों का डॉक्टर ही होता है. इन्हें पौधों की सेहत की देखभाल करनी होती है. पौधों की बीमारियों का पता लगाना होता है और माकूल इलाज करना होता है. किसी वनस्पति की प्रजाति या पौधों में फैली बीमारी को समझकर इन्हें न सिर्फ उसकी दवा विकसित करनी होती है, बल्कि वहां के वातावरण की स्थिति पर भी काबू पाना होता है. प्लांट पैथोलॉजिस्ट पेड़- पौधों या फसलों में होनेवाले फंगल इंफेक्शन और नुकसानदायक खरपतवार की रोकथाम भी करते हैं .
करियर की संभावनाएं
प्लांट एवं फॉरेस्ट पैथोलॉजिस्ट को जॉब मिलने की संभावनाएं प्राइवेट और पब्लिक दोनों सेक्टर में हैं. पब्लिक सेक्टर में प्लांट पैथोलॉजिस्ट एग्रीकल्चर या फॉरेस्ट से संबंधित गवर्नमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट या यूनिवर्सिटी में काम करते हैं. वन संरक्षण के क्षेत्र में सरकारी जॉब हासिल करने की इच्छा रखनेवालों को इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (आईएफएस) में अच्छा मौका मिल सकता है. आईएफएस नेशनल फॉरेस्ट पॉलिसी को लागू करवाने के लिए है. इसका काम है- एनवायर्नमेंटल इकोलॉजिकल स्टेबिलिटी और इकोलॉजिकल बैलेंस मेंटेन करना. आईएफएस के हिस्से के रूप में काम करने के लिए आप उन वायरस, बैक्टीरिया, फंगल और अन्य जीवों का अध्ययन कर सकते हैं, जो पेड़-पौधों और जंगलों के लिए नुकसानदायक होते हैं.
प्लांट पैथोलॉजिस्ट केंद्र और राज्य सरकारों के साथ काम करते हैं. इनका काम विभिन्न फॉरेस्ट इकोसिस्टम में काम करना और औषधीय व अन्य उपयोग की वनस्पति का उत्पादन करना भी होता है. प्लांट पैथोलॉजिस्ट किसानों की रोगमुक्त फसलें उगाने में मदद करके एग्रीकल्चर सेक्टर में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. इनके लिए इंडियन काउंसिल आॅफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के अधीन रिसर्च लैब और एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट संस्थानों में जॉब के माैके उपलब्ध हैं. प्राइवेट सेक्टर में भी जॉब की अच्छी संभावनाएं हैं. एग्री केमिकल इंडस्ट्री, बायो टेक्नोलॉजी फॉर एग्रीकल्चरल कंसल्टिंग फर्म आदि अपने रिसर्च के लिए प्लांट पैथोलॉजिस्ट को नियुक्त करती हैं. साथ ही बॉटेनिकल गार्डेन और एनवायर्नमेंटल प्रोटक्शन एजेंसी को भी इनकी जरूरत होती है.
ऐसे बढ़ें आगे
देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों में प्लांट पैथोलॉजी वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाई जाती है. कुछ विश्वविद्यालयों में इस विषय की विशेष पढ़ाई अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर होती है. इसके साथ-साथ एंटोमोलॉजी यानी इंसेक्ट्स पर स्टडी, नेमेटोलॉजी यानी कृमि पर स्टडी और वीड साइंस यानी जंगली घास की पढ़ाई अतिरिक्त योग्यता मानी जाती है. इंडियन फॉरेस्ट सर्विस को ज्वाइन करने के लिए यूपीएससी में सफलता जरूरी है. आईएफएस ऑफिसर की ट्रेनिंग मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन और देहरादून की इंदिरा गांधी नेशनल फॉरेस्ट अकादमी में होती है. ट्रेनिंग के बाद अफसरों को फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून मास्टर्स इन साइंस (एमएससी साइंस) की डिग्री देता है.
यहां से कर सकते हैं पढ़ाई
एमएससी इन साइंस (फॉरेस्ट्री )-फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, देहरादून. बीएससी और एमएससी इन प्लांट पैथोलॉजी-असम एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी ,अरुणाचल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडीज, एग्रीकल्चर कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट ,किलिकुलम और तमिलनाडु एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी ,कोयंबटूर. पीएचडी- तेलंगाना स्टेट हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी, केरल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट.
सफलता के लिए जरूरी स्किल
इस क्षेत्र में सफलता के लिए वनस्पति और पैथोलॉजी की गहरी जानकारी होनी चाहिए. इसके साथ ही कृषि में दिलचस्पी जरूरी है. अत्याधिक धैर्य, अच्छी कम्युनिकेशन स्किल एवं ऑब्जर्वेशन की स्किल इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए बेहद उपयोगी हैं.
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