चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका को निरस्त कर दिया, जिसमें राजीव गांधी हत्या मामले में सात दोषियों को रिहा करने की राज्य मंत्रिमंडल की सलाह पर आदेश पारित नहीं करने पर तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को बर्खास्त करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था.
न्यायमूर्ति एम सत्यनारायणन तथा न्यायमूर्ति आर हेमलता की खंडपीठ ने कांचीपुरम जिला थनथई पेरियार द्रविड़ कषगम के अध्यक्ष एम कन्नादासन की याचिका को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता ने कहा था कि मंत्रिमंडल ने नौ सितंबर 2018 को प्रस्ताव पारित कर तमिलनाडु के राज्यपाल से सिफारिश की थी कि वह सात दोषियों को समय से पहले रिहा करने का आदेश दें. कन्नादासन ने कहा कि 15 महीने बीत जाने के बावजूद राज्यपाल ने इस पर कोई फैसला नहीं किया और इसलिए ऐसी ‘निष्क्रियता’ संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है. याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार पर भी निष्क्रियता का आरोप लगाया.
गृह मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि राज्यपाल के पास ऐसे अधिकार नहीं हैं कि वह राज्य सरकार की सिफारिश पर सात दोषियों को रिहा करने का आदेश जारी कर दें और कानून के मुताबिक उन्हें इसके लिए केंद्र से सलाह लेनी होगी. केंद्र सरकार ने सात दोषियों को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के प्रस्ताव का उच्चतम न्यायालय में 10 अगस्त 2018 को विरोध किया था. उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि अगर किसी दोषी को केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा की गयी जांच के आधार पर सजा मिली है, तो राज्य सरकार उसकी सजा को माफ नहीं कर सकती है और चूंकि राजीव गांधी की हत्या की जांच सीबीआई ने की थी, इसलिए हत्यारों को रिहा करने के लिए केंद्र की मंजूरी अनिवार्य है.