7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पूस का सर्द मौसम और गेहूं

मिथिलेश कु राय, युवा कविmithileshray82@gmail.com कक्का गेहूं की सिंचाई करके लौटे ही थे और घूरे का इंतजाम कर रहे थे. कहने लगे कि पछिया को देखो, बावली हुई जा रही है. अब कनकनी बढ़ेगी. फिर वे बताने लगे कि पूस चढ़ आया है. यह जाड़े की जवानी का महीना है.भर पूस जाड़ा अपनी पूरी ताकत […]

मिथिलेश कु राय, युवा कवि
mithileshray82@gmail.com

कक्का गेहूं की सिंचाई करके लौटे ही थे और घूरे का इंतजाम कर रहे थे. कहने लगे कि पछिया को देखो, बावली हुई जा रही है. अब कनकनी बढ़ेगी. फिर वे बताने लगे कि पूस चढ़ आया है. यह जाड़े की जवानी का महीना है.भर पूस जाड़ा अपनी पूरी ताकत के साथ राज करेगा. पछिया इसमें इसका साथ देगी. पूस में हवाएं सर्द होकर बहने लगती हैं. ठंड महाराज ओस कुहासा कुहरा पाला और सर्द हवाओं के साथ मिलकर ऐसा दृश्य रचते हैं कि जीवन के सामने जम जाने का खतरा उत्पन्न हो जाता है.
सांझ के चार भी नहीं बजे थे, लेकिन सर्द हवा के कारण आवाजाही शून्य दिख रही थी. कक्का ने घूरे को आग दिखाया. वह धधकने लगा. हमने जब आग के सामने अपनी तलहथी फैलायी, तो लगा कि कोई रूहानी सुख हाथों के रास्ते हमारे पूरे शरीर में प्रवेश करने लगा है. उन्होंने जैसे मेरे मन की बात पढ़ ली.
कहने लगे कि आग और धूप के महत्व को सर्दी ही रेखांकित करती है. सामने की सड़क पर धनेसर पंपसेट खींचकर अपने खेत की ओर ले जा रहा था. कक्का ने उन्हें टोका कि ठंड बढ़ती जा रही है. शाम भी हो गयी है. सुबह पटवन कर लेते. रात को करने की क्या जरूरत है. धनेसर ने जवाब दिया कि पूस का दिन क्या और रात क्या.
उन्होंने बताया कि संतों के मशीन को फुरसत ही नहीं है. गेहूं के नन्हें पौधे पानी के लिए व्याकुल हो रहे हैं. उनका मुंह देखता हूं, तो सर्दी का ध्यान नहीं रह जाता है. उनकी बात सुनकर वे मुस्कुराने लगे. बोले कि सही कहा धनेसर ने कि पूस की रात क्या और दिन क्या.
कौन किसान होगा जो अपने खेत के गेहूं के नन्हें पौधे के चेहरे पर उदासी पढ़कर सर्दी को याद रख पाता होगा. पूस का यह सारा तामझाम भी तो उन्हीं नन्हे पौधों के लिए है. पूस माने गेहूं का पहला पटवन. सबको एक ही समय में पहली सिंचाई करनी है. थोड़ा आगे, थोड़ा पीछे. मशीन तो सबके पास है नहीं कि वे अपनी सुविधा के अनुसार सिंचाई कर ले. एक यही उपाय बच जाता है. मशीन वाला जब समय दे दे.
कक्का कह रहे थे कि पूस का सर्द मौसम और गेहूं की पहली सिंचाई रोटी की महत्वपूर्णता को दर्शाता है. अब दांत किटकिटाने लगेंगे और देह थरथराने लगेगी. पछिया इस तरह डोलने लगेगी कि सारा दृश्य कुहरे में छुप जायेगा, तब गेंहू के नन्हे पौधों की पहली सिंचाई की जायेगी.
अब जबकि तापमान लगातार लुढ़कता जा रहा है और लोगों का घर से निकलने का मन नहीं कर रहा है, गेहूं के नन्हे पौधों को प्यास लगेगी. उन्हें एकदम सवेरे या भिनसारे की परवाह नहीं रहेगी. वे रात और दिन का भी हिसाब नहीं रखेंगे. वे उनकी प्यास बुझाने में अपना सुध-बुध भूले रहेंगे.
वे नन्हें पौधे की प्यास की चिंता में एक मां की तरह व्याकुल हो जायेंगे. वे आधी रात को उठेंगे और खेतों में अभी-अभी उगे पौधे के बारे में सोचने लगेंगे. उनकी आंखों में नींद का द्वार तभी खुल पायेगा और वे उसमें तभी उतर पायेंगे, जब वहां लहलहाती फसल के सपने देखेंगे. इनका चेहरा हरा होकर तभी खिलेगा, जब ये पहली सिंचाई कर लेंगे!

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें