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पटना : मोदी-प्रशांत के जुबानी जंग के बीच नीतीश बोले एनडीए में सब ठीक
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार एनडीए में सब ठीक है. जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर की हालिया टिप्पणी के बाद मंगलवार को एक कार्यक्रम से बाहर निकलते समय पत्रकारों ने जब पूछा कि क्या बिहार एनडीए में सब ठीक है तो मुख्यमंत्री ने कहा कि हां, सब ठीक है. उन्होंने […]
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार एनडीए में सब ठीक है. जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर की हालिया टिप्पणी के बाद मंगलवार को एक कार्यक्रम से बाहर निकलते समय पत्रकारों ने जब पूछा कि क्या बिहार एनडीए में सब ठीक है तो मुख्यमंत्री ने कहा कि हां, सब ठीक है. उन्होंने इस मामले में इससे ज्यादा कुछ भी बोलने से साफ तौर पर मना कर दिया. सिर्फ इतना ही कहा कि एनडीए गठबंधन में सब ठीक है.
उन्होंने किसी पर टिप्पणी या किसी के बयान पर कोई प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया. दो दिन पहले प्रशांत किशोर ने जदयू और भाजपा के बीच सीट बंटवारे पर कहा था कि 2010 के फॉर्मूले के तहत भाजपा से अधिक सीटों पर जदयू लड़ेगा. इसके बाद भाजपा की ओर से भी प्रतिक्रिया आयी थी. एक दिन पहले जदयू महासचिव सांसद आरसीपी सिंह ने कहा था कि 2020 का चुनाव एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ेगा. उन्होेंने प्रशांत किशोर का नाम लिये बिना कहा था कि पार्टी ने सीटों के तालमेल को लेकर किसी को अधिकृत नहीं किया है.
सुशील मोदी परिस्थितिवश बने डिप्टी सीएम: पीके
जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पर जवाबी हमला किया है. उन्होंने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि बिहार में नीतीश कुमार का नेतृत्व और जदयू की सबसे बड़े दल की भूमिका बिहार की जनता ने तय की है, किसी दूसरी पार्टी के नेता या शीर्ष नेतृत्व ने नहीं.
2015 में हार के बाद भी परिस्थितिवश उपमुख्यमंत्री बनने वाले सुशील मोदी से राजनीतिक मर्यादा और विचारधारा पर व्याख्यान सुनना सुखद अनुभव है. इससे पहले सोमवार को मोदी ने बिना नाम लिये प्रशांत किशोर पर निशाना साधा था. कहा था कि लाभकारी धंधे में लगा व्यक्ति पहले अपने लिए बाजार तैयार करता है, फिर देश की चिंता करता है.
पीके का व्यवहार व्यावसाियक : भाजपा
सुशील मोदी पर प्रशांत किशोर के बयान का भाजपा ने विरोध किया है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि प्रशांत किशोर का व्यवहार व्यावसायिक और गठबंधन हितों के खिलाफ है. सुशील मोदी को परिस्थिति का उपमुख्यमंत्री बनने जैसा बयान देकर उनका अपमान करना ठीक नहीं है.
हल्की बयानबाजी कर मीडिया की सुर्खियां बटोरने से बचें. पैसे लेकर राजनीतिक दलाली करना और संगठन विचारधारा की बुनियाद पर संघर्ष कर राजनीति में वजूद बनाना अलग बातें हैं. क्या जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार, आरसीपी सिंह और ललन सिंह से वह खुद को बड़े नेता मानते हैं. सुशील मोदी ने लंबा राजनीतिक संघर्ष किया है. वह उपमुख्यमंत्री ही नहीं, भाजपा के शीर्ष नेताओं में एक हैं.
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