नयी दिल्ली : केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन की अध्यक्षता में सांख्यिकीय आंकड़ों को लेकर 28 सदस्यीय स्थायी समिति का गठन किया है. सरकारी आंकड़ों में राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर समय-समय पर हो रही आलोचनाओं के मद्देनजर इस समिति का गठन महत्वपूर्ण है. समिति सरकारी आंकड़ों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर गौर करेगी.
सेन ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि सांख्यिकी पर गठित स्थायी समिति की पहली बैठक छह जनवरी, 2020 को होनी तय हुई है. इसका एजेंडा काफी व्यापक होगा. इसके बारे में हमें अगले महीने होने वाली पहली बैठक में ही पता चलेगा. अन्य सदस्यों के बारे में सेन ने कहा कि समिति के गठन के लिए आदेश पहले ही जारी किया जा चुका है, लेकिन अन्य सदस्यों के बारे में मेरे पास कोई ब्योरा नहीं है. यह देखना होगा कि पहली बैठक में कितने सदस्य आते हैं.
इस साल मार्च में देश में सांख्यिकीय आंकड़ों को प्रभावित करने को लेकर राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए 108 अर्थशास्त्रियों और सामाजिक क्षेत्र के विशेषज्ञों ने सांख्यिकीय संगठनों की पवित्रता और संस्थागत स्वतंत्रता को बहाल करने का आह्वान किया था. इन अर्थशास्त्रियों की तरफ से यह वक्तव्य ऐसे समय आया था, जब सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों में किये गये संशोधन और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) के रोजगार आंकड़ों को रोके रखे जाने को लेकर विवाद बढ़ गया था.
ऐसे आंकड़े जो सरकार के लिए अनुकूल नहीं हैं, उनको दबाने के खिलाफ इन सभी अर्थशास्त्रियों, पेशेवरों और स्वतंत्र शोधकर्ताओं ने सबसे आवाज उठाने की अपील की थी और इस संस्था की सत्यनिष्ठा और संपूर्णता को बहाल करने पर जोर दिया था. इस साल नवंबर में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने 2017-18 के उपभोक्ता खर्च सर्वेक्षण परिणाम को जारी नहीं करने का फैसला किया. मंत्रालय ने आंकड़ों की गुणवत्ता को आधार बनाते हुए इसे जारी नहीं किया.
मंत्रालय ने यह भी कहा कि एक विशेषज्ञ समिति ने 2017-18 को जीडीपी की नयी शृंखला शुरू करने के लिए आधार वर्ष के तौर पर उचित नहीं माना. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर राष्ट्रीय साख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के सर्वेक्षण जारी नहीं किये जाने को लेकर हमलावर रही है. एनएसओ की हाल की एक रिपोर्ट में कथित रूप से चार दशक में पहली बार 2017-18 में उपभोक्ता खर्च में कमी का परिणाम सामने आया था, लेकिन सरकार ने रिपोर्ट को जारी नहीं किया.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.