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#Christmas: मैं हिंदू हूं लेकिन हर साल क्रिसमस मनाता हूं…

रांची :"मैं हिंदू हूं लेकिन हर साल क्रिसमस मनाता हूं ". मानवता से बड़ा धर्म कोई नहीं होता. प्रभात खबर के साथ बातचीत में उक्त बातें रांची के संत मारिया चर्च में एक श्रद्धालु ने कही. क्रिसमस के मौके पर हमारी कई ऐसे लोगों से बातचीत हुई जो आपसी भाईचारे की मिसाल पेश कर रहे […]

रांची :"मैं हिंदू हूं लेकिन हर साल क्रिसमस मनाता हूं ". मानवता से बड़ा धर्म कोई नहीं होता. प्रभात खबर के साथ बातचीत में उक्त बातें रांची के संत मारिया चर्च में एक श्रद्धालु ने कही. क्रिसमस के मौके पर हमारी कई ऐसे लोगों से बातचीत हुई जो आपसी भाईचारे की मिसाल पेश कर रहे रहे थे. प्रभात खबर संत मारिया चर्च से फेसबुक पर लाइव हुआ. संत मारिया चर्च में हर साल की तरह इस साल भी भीड़ थी. चर्च के अंदर लोग प्रार्थना कर रहे थे. बाहर मदर मैरी की प्रतिमा के सामने भी मोमबत्तियां चलायी जा रही थीं.

चर्च के बाहर खिलौने बेचने वाले, हवा मिठाई बेचने वाले, सांता की टोपी बेचने वाले और कैंडिल बेचने वालों की भी भीड़ थी. चर्च से प्रेयर की आवाज आ रही थी स्पीकर लगे थे जो अंदर हो रही प्रार्थना की आवाज बाहर भी लोगों को सुना रहे थे. इस भीड़ में कई लोग सांता बने घूम रहे थे. प्रभु यीशू के जन्म का दृश्य भी ‘चरनी’ में दिखाय गया था. कई लोग यहां सेल्फी और परिवार के साथ तस्वीरें ले रहे थे. जहां सांता दिखता तो उसके साथ तस्वीर लेने के लिए भी़ड़ लग जाती..
मैं हिंदू हूं लेकिन हर साल क्रिसमस मनाता हूं.
दो साल के सांता बने लक्ष्य अपने पापा के साथ खेल रहे थे. लक्ष्य के पिता का नाम विकास पाठक बक्सर के रहने वाले. हमने पूछा कब से क्रिसमस मना रहे हैं, तो उन्होंने कहा- हर साल चर्च आते हैं. यहां लगता है कि हम सब एक हैं. सहिष्णु वाली बात यहां पता चलती है. जो लोग बातें बना रहे हैं यहां पता चलता है कि भाईचारा वास्तव में क्या है. मैं गर्व से कहता हूं कि मैं हिंदू हूं लेकिन हर साल क्रिसमस मनाता हूं. मैं संदेश देना चाहता हूं कि सबसे बड़ा धर्म मानवता है उससे बड़ा धर्म कोई नहीं है. सबसे अच्छा प्रेम है और उसे बनाये रखना चाहिए. बच्चों को हम भगवान का रूप मानते हैं मेरा बेटा सांता बना है यही संदेश दे रहे है कि धर्म, जाति से ऊपर कोई है तो वह भाईचारा है मानवता है. यही हमारे देश की विशेषता है.
मोहम्मद चांद खान सांता बनकर बांट रहे थे खुशियां
विकास के बेटे लक्ष्य से मुलाकात के बाद हम आगे बढ़े तो हमारी मुलाकात एक और सांता से हुई. वह बच्चों में टॉफियां बांट रहे थे. हमने बात करने का आग्रह किया तो कुछ बच्चों ने कहा पहले हमें तस्वीर ले लेने दीजिए. थोड़ी देर के बाद जब सांता के साथ बच्चों ने तस्वीर ले ली तो सांता हमारे पास आये. हमने सांता से सांता बनकर नहीं बल्कि सांता के रूप में जो व्यक्ति खुशियां बांट रहा है उससे मुलाकात की इच्छा जाहिर की. सांता के मुखौटे के अंदर निकले मोहम्मद चांद खान. चांद कहते हैं, हम झारखंड के लोग है हम चाहते हैं सब मिलकर रहेंगे तो समाज के लिए अच्छा होगा. त्योहार सभी को मिलकर मनाना चाहिए, क्रिसमस हो, होली हो या ईद हो. मैं पहली बार सांता बना हूं मुझे खुशी हो रही है.
त्योहार में बिक्री होती है लेकिन माल बचता है तो नुकसान होता है
कृष्ण नंदर कुमार चर्च के बाहर खड़े हवा मिठाई बेच रहे थे. त्योहार के मौके पर कितनी कमाई हुई, कैसी उम्मीद है कहां से आये हैं इन सवालों के साथ जब हम उनके पास पहुंचे तो उन्होंने बताया कि झारखंड में कई जगहों पर घूम चुके हैं. रांची में एक महीने से हैं. हवा मिठाई बनाने वाले हमारे रिश्तेदार हैं तो हम इधर आ गये. सुबह हम माल लेकरआते हैं कमीशन में हमें सामान मिलता है हमें 5 से 6 रुपये में मिलता है हम दस रूपये में बेचते हैं घूम- घूम कर बेचते हैं. त्योहार के मौके पर सामान लेते हैं अगर नहीं बिकता तो हमें दूसरे दिन बेचना होता है उन्हें तो पूरा हिसाब चाहिए.

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