नयी दिल्ली : देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और एनआरसी को लेकर जारी विवाद के बीच सरकार बोली सरकार के एक आला अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि जिस किसी का जन्म भारत में एक जुलाई, 1987 से पहले हुआ हो या जिनके माता-पिता का जन्म उस तारीख से पहले हुआ हो, वे कानून के अनुसार भारत के वास्तविक नागरिक हैं.उन्हें नागरिकता संशोधन अधिनियम या संभावित एनआरसी से चिंता करने की जरूरत नहीं है.
असम के मामले में भारतीय नागरिक के तौर पर पहचान की ‘कट ऑफ सीमा’ 1971 है. नागरिकता कानून में 2004 में किये गये संशोधनों के अनुसार जिसका जन्म भारत में 26 जनवरी, 1950 को या उसके बाद लेकिन एक जुलाई, 1987 से पहले हुआ हो, जिसका जन्म भारत में एक जुलाई 1987 को या उसके बाद लेकिन 3 दिसंबर, 2004 से पहले हुआ हो और जन्म के समय उनके माता या पिता भारत के नागरिक हों, वो वास्तविक भारतीय नागरिक हैं. 10 दिसंबर, 1992 को या उसके बाद लेकिन तीन दिसंबर, 2004 से पहले भारत के बाहर जन्मे लोग, जिनके माता या पिता उसके जन्म के समय भारत के नागरिक थे, वो भी भारतीय नागरिक हैं.
यदि किसी का जन्म भारत में तीन दिसंबर, 2004 को या उसके बाद हुआ हो और माता-पिता दोनों भारत के नागरिक हैं या उनमें से कोई एक भारत का नागरिक है तथा दूसरा उसके जन्म के समय अवैध प्रवासी नहीं है तो वो भी भारतीय नागरिक होंगे.
नागरिकता साबित करने को पुराने दस्तावेज नहीं मांगे जायेंगे
गृह मंत्रालय ने कहा कि किसी भी भारतीय को उसके माता-पिता या दादा-दादी के 1971 से पहले के जन्म प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज दिखा कर नागरिकता साबित करने के लिए नहीं कहा जायेगा और न ही उसे नाहक परेशान किया किया जायेगा. अपने ट्वीटों में गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि बिना किसी दस्तावेज वाले निरक्षर नागरिकों को गवाह या समुदाय के सदस्यों से समर्थित सबूतों पेश करने की अनुमति होगी. भारत की नागरिकता जन्मतिथि या जन्मस्थान या दोनों से संबंधित कोई दस्तावेज पेश कर साबित की जा सकती है. ऐसी सूची में ढेर सारे आम दस्तावेज होने की संभावना है. गृह मंत्रालय इस संबंध में निर्धारित प्रक्रिया जारी करेगा.भारतीय नागरिकों को 1971 से पहले का अपने माता-पिता या दादा-दादी के पहचान पत्र, जन्म प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेजों को पेश कर अपने पुरखों को साबित नहीं करना होगा.