पटना : पटना जंक्शन स्थित हनुमान मंदिर व टमटम पड़ाव के आसपास सैकड़ों की संख्या में रिक्शा चालक, भिखारी व अन्य लाचार लोग रात गुजारते हैं. इन लोगों के लिए जिला प्रशासन की ओर से सिर्फ एक जगह हनुमान मंदिर के समीप अलाव की व्यवस्था की गयी है, जहां पांच-सात किलोग्राम लकड़ी दिखी. इस लकड़ी के सहारे रात बिताना मुश्किल था. वहीं, मंदिर के पीछे, टमटम पड़ाव के समीप और वेटिंग हॉल के समीप लोग कूड़ा जला कर ठंड से लड़ते दिखे.
परिसर में जहां-तहां ठंड से जूझते दिखे लोग
कंपकपी भरी रात में सैकड़ों की संख्या में रेल यात्री भी ठंड से जूझते दिखे. दर्जनों यात्रियों को बुकिंग हॉल या सीढ़ी के नीचे जगह नहीं मिला, तो खुले आसमान में कंबल के सहारे ठंड से बचाव करते दिखे. वहीं, सैकड़ों की संख्या में यात्री पॉटिको, गेट संख्या-चार के समीप, बुकिंग हॉल, सीढ़ी के नीचे जैसे-तैसे सोये दिखे.
बर्फीली पछुआ हवा से जीना हुआ मुहाल, शाम होते ही बढ़ जा रही ठंड
गुरुवार को राजधानी का न्यूनतम तापमान 7.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से तीन डिग्री सेल्सियस कम है. इसके साथ ही बर्फीली पछुआ हवा भी चल रही है. इस कारण शाम होते ही ठंड और बढ़ जा रही है. कड़ाके की ठंड की इस रात में भी खुले आसमान के नीचे लोग रात गुजारने को मजबूर दिखे.
जब प्रभात खबर संवाददाता ने रात में पटना जंक्शन के आसपास के इलाके का जायजा लिया तो कुछ ऐसा ही नजारा दिखा. प्रशासन की ओर से की गयी व्यवस्था नाकाफी दिखी. कहीं-कहीं तो लोग बैठ कर ही रात काटते दिखे. पेश है गुरुवार देर रात की लाइव रिपोर्ट.
लाइव@जंक्शन . बुकिंग हॉल, सीढ़ी के नीचे, परिसर के बाहर फुटपाथ पर जैसे-तैसे रात गुजारते दिखे लोग
रैन बसेरा में ठंड में बड़ी राहत मिलता था, जो अब नहीं है. कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की गयी. इससे हम गरीब लोग सड़क किनारे सोने को मजबूर हैं. प्रशासन की ओर से अलाव जलाने के लिए लड़की भी नहीं दिया गया. रात बिताना मुश्किल हो गया है.
10 वर्षों से चीना कोठी रैन बसेरा में रह रहे थे. अब हमारे साथ सैकड़ों लोग सड़क पर आ गये हैं, जो रात भर ठंड से ठिठुरने को मजबूर हैं. लेकिन, प्रशासन की ओर से कोई इंतजाम नहीं किया गया है.
शहर में मजदूरी करते हैं और रात बिनाने के लिए स्टेशन परिसर पहुंच जाते हैं. हमारे साथ कई लोग हैं, जो एक कंबल के सहारे रात बिताने को मजबूर हैं. कहीं अलाव की व्यवस्था नहीं की गयी है.
डेहरी ऑन सोन से पटना आये हैं और पूर्णिया जाना है. रात्रि में कोई ट्रेन नहीं है, तो मजबूरन जंक्शन पर रात बिताना पड़ रहा है. इससे बुकिंग हॉल में जगह खोज कर परिवार के साथ सोने का इंतजाम कर रहे हैं.
औरंगाबाद से आये हैं और सासाराम जाना है. रात्रि के दो बजे एक ट्रेन है, जिसे पकड़ना है. ट्रेन के आने तकयहीं सीढ़ी बैठ गये हैं, तो कंपकपी भरी ठंड से बचा जा सके.