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रांची : एटीएम में डालने थे चार करोड़, ले भागे स्टाफ

रांची : एसबीआइ और यूबीआइ के एटीएम में पैसा डालने की जगह निजी एजेंसी कैश मैनेजमेंट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के दो कर्मी चार करोड़ सात लाख 53 हजार रुपये लेकर फरार हो गये है. जानकारी के मुताबिक, एजेंसी द्वारा एसबीआइ के 16 और यूबीआइ के चार एटीएम में पैसा डाला जाना था. लेकिन पैसा नहीं […]

रांची : एसबीआइ और यूबीआइ के एटीएम में पैसा डालने की जगह निजी एजेंसी कैश मैनेजमेंट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के दो कर्मी चार करोड़ सात लाख 53 हजार रुपये लेकर फरार हो गये है. जानकारी के मुताबिक, एजेंसी द्वारा एसबीआइ के 16 और यूबीआइ के चार एटीएम में पैसा डाला जाना था.
लेकिन पैसा नहीं डाला गया. अब तक एजेंसी के स्तर पर हुई जांच में पता चला है कि कुल 17 एटीएम में गड़बड़ी की गयी है. घटना को लेकर एजेंसी के असिस्टेंट मैनेजर कंचन ओझा की शिकायत पर बुधवार को सदर थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी है. प्राथमिकी में रुपये गबन का आरोप कंपनी के दो कर्मी सुपौल निवासी गणेश कुमार ठाकुर और समस्तीपुर निवासी शिवम कुमार पर लगाया गया है.
कंचन ओझा ने पुलिस को बताया है कि कंपनी निजी और सरकारी बैंकों का पैसा एटीएम तक पहुंचाने का काम करती है. कंपनी की ओर से हर रूट में कैश वैन से एटीएम तक पैसा पहुंचाने के लिए दो कर्मी तैनात किये गये हैं.
कंपनी ने रुपये के कस्टोडियन गणेश कुमार ठाकुर और शिवम कुमार को रूट नंबर 106 के 20 एटीएम में पैसा डालने के लिए नियुक्त किया था. इस मामले में आरोपियों की जांच के लिए सिटी एसपी के स्तर पर टीम गठित कर कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. पुलिस की टीम आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए बिहार जायेगी.
शुरुआती जांच में दो दर्जन एटीएम में की गयी गड़बड़ी
एसआइएस अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती जांच में 20 से 25 एटीएम में गड़बड़ी पायी गयी है. इनमें रूट नंबर 106 के बुंडू, तमाड़, राहे, रातू रोड के आधा दर्जन एटीएम, कोकर शिव मंदिर और सुरेंद्रनाथ सेंटेनरी स्कूल के पास वाले एटीएम शामिल हैं. इनमें गबन की गयी धनराशि कहीं ज्यादा भी हो सकती है. अभी ऑडिट जारी है. ऑडिट के बाद वास्तविक धनराशि का पता चलेगा.
रुपये जमा करनेवाली मशीन की नकदी में गड़बड़ी
आरोपी कर्मचारी ने नोट जमा करनेवाली मशीन से मिली नकदी में भी गड़बड़ी की है. कर्मचारी एटीएम के सेटिंग्स में गड़बड़ी कर हर रोज उसमें बड़े नोटों की जगह छोटे नोट रीफिल कर देते थे. जब ग्राहक पैसे निकाला (हिट) करते थे, तो उसे बड़े नोट की जगह छोटे करेंसी में राशि मिलती थी. जबकि कंपनी के हिसाब में उन छोटे नोटों को काउंटिंग में बड़े ट्रांजेक्शन में दिखा दिया जाता था.
पांच दिसंबर से ही धीरे-धीरे निकाल रहे थे पैसे
15 को संपर्क नहीं होने पर जांच में खुलासा
प्राथमिकी के अनुसार, गणेश कुमार ठाकुर पिछले डेढ़ माह से और शिवम कुमार छह दिन से रूट के एटीएम में पैसा डाल रहा था. लेकिन कंपनी के कॉल सेंटर से जब 15 दिसंबर को दोनों कर्मियों को फोन किया, तो उनका फोन बंद मिला.
16 दिसंबर को जब दोनों कर्मी कार्यालय में नहीं आये तब पदाधिकारियों को आशंका हुई कि कहीं दोनों घायल तो नहीं हो गये. इसके बाद उनके वर्तमान पते पर कंपनी के कर्मचारी मिलने गये, लेकिन दोनों नहीं मिले. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि 15 दिसंबर को ही दोनों पैसा लेकर फरार हो गये. कंचन ओझा ने पुलिस को बताया है कि पैसे की गड़बड़ी पांच दिसंबर से 14 दिसंबर के बीच की हो सकती है.

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