गिरफ्तारी के आदेश की खबर से गरमायी राजनीति
एएसपी ने सुपरविजन रिपोर्ट में मामला सत्य करार दिया था
रक्सौल : भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह स्थानीय सांसद डॉ संजय जायसवाल के खिलाफ मई माह में दर्ज एक मामले में गिरफ्तारी के आदेश की कथित खबर से रविवार को राजनीति गरमा गयी. हालांकि, पूर्वी चंपारण के एसपी उपेंद्र वर्मा ने देर रात स्पष्ट किया कि इस मामले में जुलाई माह में पर्यवेक्षण रिपोर्ट दी गयी थी. लेकिन, अभी जांच जारी है.
सांसद के खिलाफ जमानतीय धाराओं में पर्यवेक्षण रिपोर्ट है. सात जुलाई, 2019 को एएसपी शैशव यादव ने दंगा भड़काने समेत कई मामलों की जांच में अपनी पर्यवेक्षण रिपोर्ट में जायसवाल पर लगे आरोपों को सही करार दिया था. उन्होंने सत्य पाये गये नामजद आरोपितों की गिरफ्तारी का आदेश भी दिया था. इस मामले में सांसद के साथ-साथ नरकटिया के पूर्व विधायक श्याम बिहारी प्रसाद भी आरोपित हैं. रविवार को यह मामला चर्चा में आने के बाद राजनीति गर्म हो गयी.
क्या है मामला: लोकसभा चुनाव के दौरान 12 मई, 2019 को नरकटिया विधानसभा के प्राथमिक विद्यालय नगरवा के बूथ पर हंगामा हुआ था, जिसमें एक पक्ष ने डॉ संजय जायसवाल पर दंगा भड़काने, अभ्रद व्यवहार करने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया था.
दूसरी तरफ सांसद ने डीएम व एसपी पर खुद की हत्या की साजिश रचने तक का आरोप लगाया था. इस मामले में शेखौना गांव के शेख तैयब ने घोड़ासहन थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी, जिसमें सांसद डॉ संजय जायसवाल, पूर्व मंत्री श्याम बिहारी प्रसाद सहित नौ लोगों को प्राथमिक अभियुक्त बनाया गया था. मामले में घोड़ासहन थाने में थाना कांड संख्या 165 दर्ज किया गया था. वहीं, सांसद डॉ संजय जायसवाल ने एक मामला दर्ज कराया गया था, जिसमें 13 नामजद सहित अन्य सैकड़ों अज्ञात को आरोपित बनाया गया था.
एसपी उपेंद्र वर्मा ने कहा कि सांसद ने कई बिंदुओं पर साक्ष्य के साथ अपना पक्ष दिया था. इस पूरे मामले की जांच की जा रही है.
डॉ जायसवाल ने कहा-बिना पूछताछ के ठहरा दिया दोषी
वहीं, इस मसले पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि इस मामले में न उनसे कभी कोई पूछताछ हुई और न ही पुलिस ने कभी उनका पक्ष रखने का मौका दिया. यह एकतरफा कार्रवाई कर दी गयी है. वह भी उस व्यक्ति पर जो इस पूरे मामले में पीड़ित है.
डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि सबसे पहले इस घटना की शिकायत चुनाव आयोग को उन्होंने ही की थी. उनके ही बयान पर पूरा मामला दर्ज किया गया. प्रशासन पर उन्होंने हत्या की साजिश करने का इल्जाम लगाया था. इसी का खुनस प्रशासन उनसे निकाल रहा है. इस मामले में जो लोग पूरी तरह से घायल होकर अस्पताल में भर्ती हुए थे, उन्हें ही दोषी ठहराया गया है.