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CAB के मसौदे पर चर्चा के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने नॉर्थ-ईस्ट के मुख्यमंत्रियों और नेताओं के साथ की बैठक

नयी दिल्ली : केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को असम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के राजनीतिक दलों, छात्र निकायों और नागरिक समाज समूहों के नेताओं साथ प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के मसौदे पर चर्चा की. सूत्रों के अनुसार, बैठक में असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, अरुणाचल प्रदेश मुख्यमंत्री पेमा खांडू और मेघालय […]

नयी दिल्ली : केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को असम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के राजनीतिक दलों, छात्र निकायों और नागरिक समाज समूहों के नेताओं साथ प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के मसौदे पर चर्चा की. सूत्रों के अनुसार, बैठक में असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, अरुणाचल प्रदेश मुख्यमंत्री पेमा खांडू और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा, केंद्रीय मंत्री किरण रिजीजू और विभिन्न सांसदों ने शिरकत की.

सोनोवाल ने कहा कि शाह द्वारा सीएबी पर परामर्श से सभी आशंकाओं को दूर करने में मदद मिलेगी. उन्होंने बताया कि ये पूर्वोत्तर के सभी तबकों के लोगों से बातचीत की बेहद ईमानदार और लोकतांत्रिक कोशिश है. मुझे विश्वास है कि गृहमंत्री के साथ बैठक में जो शामिल हुए, उन्होंने क्षेत्र को लेकर केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को महसूस किया. ज्यादातर क्षेत्रीय दलों और नागरिक समाज समूहों ने इस बात पर चिंता जतायी कि सीएबी से आदिवासी प्रभावित हो सकते हैं.

सूत्रों ने कहा कि ऐसा पता चला है कि गृह मंत्री ने उन्हें संकेत दिया कि आंतरिक रेखा परमिट (आईएलपी) व्यवस्था द्वारा संरक्षित आदिवासी क्षेत्र और ऐसे क्षेत्र जो संविधान की छठी अनुसूची के तहत प्रशासित होते हैं, वे सीएबी से प्रभावित नहीं होंगे. सूत्रों ने बताया कि इस क्षेत्रों को प्रस्तावित विधेयक के दायरे से छूट दी जा सकती है और समझा जा रहा है कि इन आशंकाओं के संबंध में शाह ने प्रतिनिधियों को संतुष्ट कर दिया.

असम के मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने शनिवार को कहा कि शाह ने शुक्रवार की रात त्रिपुरा और मिजोरम के राजनीतिक नेताओं और नागरिक समाज के सदस्यों के साथ चार घंटे तक बैठक की और चीजें सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं. सरमा ने ट्वीट किया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर शुक्रवार को त्रिपुरा और मिजोरम के राजनीतिक दलों और नागरिक समाज संगठनों के साथ चार घंटे तक चर्चा की. वह आज असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश के प्रतिनिधिमंडलों के साथ इसपर चर्चा करेंगे. चीजें सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं.

नागरिकता अधिनियम 1955 में प्रस्तावित संशोधन पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसियों और ईसाइयों को भारत की नागरिकता देने की बात कहता है, भले ही, उनके पास कोई उचित दस्तावेज नहीं हों. विधेयक को लेकर पूर्वोत्तर राज्यों में कड़े विरोध के मद्देनजर गृहमंत्री शुक्रवार और शनिवार को इस मुद्दे पर सिलसिलेवार बैठकें कर चुके हैं और तीन दिसंबर को भी वे इस सिलसिले में बैठके करेंगे.

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