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अन्नदाताओं का रखें खयाल
हम लोग केवल यही पढ़ते हैं या सुनते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है. लेकिन, मौजूदा दौर में किसानों की स्थिति दयनीय है, किसान और कर्ज एक-दूसरे के पर्याय बन गये हैं. यही कारण है कि एक हताश किसान अपनी मौत को गले लगा लेता है. देश की लगभग सत्तर प्रतिशत जनसंख्या गांवों […]
हम लोग केवल यही पढ़ते हैं या सुनते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है. लेकिन, मौजूदा दौर में किसानों की स्थिति दयनीय है, किसान और कर्ज एक-दूसरे के पर्याय बन गये हैं. यही कारण है कि एक हताश किसान अपनी मौत को गले लगा लेता है. देश की लगभग सत्तर प्रतिशत जनसंख्या गांवों में रहती है और खेती ही उनका मुख्य काम है.
मौसम में अचानक बदलाव आने से इन अन्नदाताओं की सारी मेहनत पर चंद मिनटों में ही पानी फिर जाता है. कृषि घाटे का सौदा न रहे, इसके लिए सरकारों द्वारा गंभीर प्रयास करने होंगे, क्योंकि किसानों की खुशहाली में ही देश की खुशहाली है. याद रहे- ‘किसान विकास की धुरी है’, यदि किसानों ने अपने हल रख दिये, तो विकास का चक्का पूर्ण रूप से जाम हो जायेगा.
कपिल एम वडियार, पाली, राजस्थान
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