पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशीलकुमारमोदी ने ट्वीटकर कहा है कि अयोध्या में रामजन्म भूमि स्थल की 2.77 एकड़ भूमि रामलला विराजमान को सौंपने के सुप्रीम कोर्ट के सर्वसम्मत ऐतिहासिक फैसले के 15 दिन बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने एलान किया कि वह कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं देगा. वक्फ बोर्ड ने 9 नवंबर को अयोध्या मुद्दे पर फैसला आने के तुरंत बाद ही इस आशय का बयान देकर अमन, मिल्लत और भाईचारे का जो संकेत दिया था, उस पर अब पक्की मुहर लग गयी. सुशील मोदी ने कहा कि बोर्ड ने पुनर्विचार याचिका दायर न करने का फैसला कर उन ताकतों को कड़ा संदेश दिया है, जो शांतिपूर्ण समाधान के बाद भी वोटबैंक की राजनीति के बुझे चूल्हे की राख में चिंगारी खोजने की कोशिश कर रहे थे.
उपमुख्यमंत्रीने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपनी पहली पारी में जब दलितों-पिछड़ों के रिजर्वेशन में कोई कटौती किये बिना ऊंची जाति के गरीबों को नौकरियों और दाखिलों में 10 फीसद रिजर्वेशन देने का बिल पास कराया था, तब राजद ने संसद में इसका कड़ा विरोध किया था. इस रिजर्वेशन को लाली पॉप बताया गया था. 2019 के संसदीय चुनाव में राजद को इसकी ऐसी सजा मिली कि बिहार की सभी 40 सीटों पर पार्टी हार गयी. अब बिहार प्रदेश राजद की कमान ऊंची जाति को सौंप कर सवर्ण समाज को लालीपॉप से बहलाने की कोशिश की गयी है. जिस सीनियर व्यक्ति को पत्नी-पुत्र-पुत्री मोह के चलते राजद में कभी सीएम-मैटीरियल नहीं समझा गया, उन्हें अचानक पिछवाड़े के अंधेरे कमरे से ड्राइंग रूम में लाकर लालू प्रसाद किसे धोखा देना चाहते हैं?