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प्रभात खबर के साथ विशेष बातचीत : झामुमो पर बरसे सुदेश, कहा- आजसू झारखंड में तैयार कर रहा नया नेतृत्व

भाजपा-आजसू पार्टी गठबंधन का टूटना झारखंड के सियासी घमसान में बड़ा उलट-फेर जैसा रहा. आजसू ने भाजपा की शर्तों पर गठबंधन से इंकार कर दिया. सात माह पहले एक साथ लोकसभा चुनाव लड़नेवाले दोनों दल अब चुनावी मैदान में एक-दूसरे की जमीन लूटने में लगे हैं. भाजपा आक्रामक है, तो आजसू भी तेवर में है. […]

भाजपा-आजसू पार्टी गठबंधन का टूटना झारखंड के सियासी घमसान में बड़ा उलट-फेर जैसा रहा. आजसू ने भाजपा की शर्तों पर गठबंधन से इंकार कर दिया. सात माह पहले एक साथ लोकसभा चुनाव लड़नेवाले दोनों दल अब चुनावी मैदान में एक-दूसरे की जमीन लूटने में लगे हैं. भाजपा आक्रामक है, तो आजसू भी तेवर में है.

आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो विधानसभा चुनाव के बहाने राजनीतिक जमीन बढ़ाने-नापने में लगे हैं. 81 सीटों में आधे से अधिक पर प्रत्याशी दे दिये हैं. विधानसभा चुनाव में आजसू पार्टी एक कोण बनी, तो सियासी रोमांच दिखेगा. एनडीए-यूपीए दोनों के लिए सत्ता की सीढ़ियां चढ़ना आसान नहीं होगा. राज्य के राजनीतिक परिदृश्य, आजसू के स्टैंड व चुनाव बाद के हालात-संभावनाओं पर प्रभात खबर के वरीय स्थानीय संपादक संजय मिश्र और ब्यूरो प्रमुख आनंद मोहन ने सुदेश महतो से लंबी बातचीत की.

प्रभात खबर के साथ बातचीत के दौरान आजसू पार्टी के सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो कहते हैं : मैं नेतृत्व तैयार कर रहा हूं. भविष्य देख रहा हूं. झारखंडी जनभावना, मानस के अनुरूप पार्टी के नेतृत्वकर्ता की जवाबदेही निभा रहा हूं. गांव की चौपाल का निर्णय, सरकार का निर्णय बने, इसी एजेंडे के साथ काम कर रहा हूं. सत्ता-शासन गांव के हाथों में रहे, यही सोच थी. राजनीति के शीर्ष पर बैठे तीन-चार लोग गांव पर सब कुछ थोप नहीं सकते हैं. चुनाव के बाद गांव के लोग सरकार को खोजते हैं. उनके लिए सरकार कौन है. गांव की गवर्नमेंट कौन है. उनके लिए ब्लॉक ऑफिस, बीडीओ-सीओ, थानेदार और दूसरे अफसर ही लिए सरकार हैं.

श्री महतो ने कहा कि राज्य के मुद्दे पर विधानसभा चुनाव होना चाहिए. बताना चाहिए कि पांच साल क्या किया. गांव तक बिजली पहुंची. पारा शिक्षक, सहिया, जल सहिया के साथ हमारा बर्ताव कैसा रहा. आजसू नेता कहते हैं : चुनाव के बाद हम बड़ी ताकत बन कर उभरेंगे. भाजपा के बाद हम सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार में रहते हुए हमने सड़क से सदन तक संघर्ष किया. हम तो अपनी बात बता ही सकते हैं. मेरी भूमिका सुझाव देने की थी.

आम-अवाम की बातें रहें, किसान की बात हो, छात्र-नौजवान के एजेंडे हों, समय-समय पर हमने सरकार को आगाह किया. हमारे विधायकों ने हाउस के माध्यम से, हमारे मंत्री ने कैबिनेट के माध्यम से सरकार तक अपनी बातें पहुंचायी. मानना, नहीं मानना उनका काम था. सुदेश ने कहा : सरकार में आते हैं, तो स्थानीय नीति को नये सिरे से परिभाषित करेंगे. सीएनटी-एसपीटी और स्थानीयता के मुद्दे पर बात नहीं सुने जाने पर कहा कि सरकार में न मंच था, न पंच था.

आम-अवाम, किसान, छात्र-नौजवानों की समस्याओं को लेकर हमेशा सरकार को आगाह किया. भाजपा के साथ गठबंधन की बाबत कहा कि हमने हमेशा गठबंधन के लिए कुर्बानी दी है. 2014 में सीटिंग सीट छोड़ दी. हमेशा भाजपा की सरकार बनवायी. लेकिन मामला केवल सीट शेयरिंग का नहीं था, स्वाभिमान पर चोट हो, तो विचार करना पड़ता है.

झामुमो पर भी बरसे

सुदेश झामुमो पर भी बरसे, उन्होंने कहा कि हम संघर्ष से आये लोग हैं, बाप-दादा की कमाई नहीं खा रहे हैं. झामुमो तीन-तीन बार सरकार में रही, अपनी एक उपलब्धि बताये. झामुमो की पहचान नरसिम्हा राव की सरकार की बातों से है. झामुमो के लिए सत्ता मलाई हो सकती है, मेरे लिए सेवा है.

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