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भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह ने कहा- सहयोगी दलों का हाथ थामना भाजपा की कार्यसंस्कृति

रांची: भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सह केंद्रीय कार्यालय प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि गठबंधन दलों की अपनी मजबूरियां हो सकती हैं, भाजपा किसी का हाथ नहीं छोड़ती, हमारा अंत तक प्रयास रहता है. सबको साथ लेकर चलना ही हमारी कार्यसंस्कृति है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र […]

रांची: भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सह केंद्रीय कार्यालय प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि गठबंधन दलों की अपनी मजबूरियां हो सकती हैं, भाजपा किसी का हाथ नहीं छोड़ती, हमारा अंत तक प्रयास रहता है. सबको साथ लेकर चलना ही हमारी कार्यसंस्कृति है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में दोबारा एनडीए की सरकार का गठन हुआ है, उसी प्रकार प्रदेश में भी रघुवर दास के नेतृत्व में ही सरकार का पूर्ण बहुमत के साथ गठन होगा. दिल्ली लौटने के पूर्व उनसे झारखंड विधानसभा चुनाव के संदर्भ में बात की प्रभात खबर संवाददाता बिपिन सिंह ने.

-झारखंड में भाजपा सरकार की पुनर्वापसी को लेकर कितने आश्वस्त हैं.
राज्य में चहुमुंखी विकास के लिए केंद्र व राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकार बनना राज्य के हित में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनकल्याणकारी नीतियों, अध्यक्ष अमित शाह की सांगठनिक व कुशल नेतृत्व तथा मुख्यमंत्री रघुवर दास की मेहनत जनता देख रही है, सभी लोग विकास के लिए राज्य में फिर भाजपा की सरकार बनाने के लिए संकल्पित हैं. विधानसभा चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह है. मैंने अपने दौरे के क्रम में स्वयं अनुभव किया है कि चाहे गांव हो या शहर, पार्टी के पक्ष में हर तरफ जीत का माहौल है.

-आप मानते हैं कि खंड में लहर भाजपा के पक्ष में है.
हम कार्यकर्ताओं और वोटर्स के चेहरे पढ़ लेते हैं. उनमें एक आत्मविश्वास है. आप भरोसा रखिए, रघुवर सरकार के काम के आधार पर भारी बहुमत से प्रदेश में भाजपा की सरकार बनेगी. अभी अमित शाह जी की रैली हुई है, प्रधानमंत्री मोदी के आने के बाद चुनावी माहौल पूरी तरह भाजपा के पक्ष में होगा.

-आजसू के जाने के बाद परिस्थितियां भाजपा के खिलाफ गयी हैं.

सहयोगी पार्टियों की अपनी मजबूरियां होती हैं. इतिहास जानता है कि भाजपा किसी भी सहयोगी दल से हाथ नहीं छुड़ाती, बल्कि उसकी तो कार्यसंस्कृति ही सबको एक साथ लेकर चलने की रही है. महाराष्ट्र में एनसीपी जबकि हरियाणा में भी हमें एक नए सहयोगी का साथ मिला, यह हमारी बात को प्रमाणित करता है.

-आजसू पार्टी का अपना एक वोट बैंक है, भाजपा को कितना नुकसान होगा.

देश में 2014 के बाद चुनाव जाति-धर्म नहीं, विकास और मजबूत सरकार के लिए वोट डाले जा रहे हैं. ऐसे में आजसू को नुकसान उठाना पड़ सकता है. राज्य में केंद्र की सभी योजनाएं धरातल पर उतरने से जनता को लाभ मिलता है. मेरा मानना है कि अगर सहयोगी जीतते हैं तो केंद्र का फैक्टर भी उसमें समाहित रहता है, इससे आजसू को वंचित होना पड़ सकता है.

-महाराष्ट्र में भाजपा ने जिस तरह से सरकार बनाने की कवायद की, एनसीपी से समर्थन लिया, आपको ठीक लगता है.

स्थायी सरकार महाराष्ट्र के लिए जरूरी था. इससे वहां की जनता इससे काफी खुश है. जनता एक स्थिर सरकार चाहती थी और वह भाजपा ही दे सकती थी. किसी भी सूरत में ट्रिपल अलायंस के जरिए एक स्थायी सरकार नहीं मिलना था. महाराष्ट्र में हमने पहले ही कह दिया था कि हम अभी सरकार नहीं बना रहे. विपक्ष को हमने मौका भी दिया.

-एक तबका कह रहा है कि एनसीपी को डर दिखा कर समर्थन लिया गया.
किस बात का डर, अगर शरद पवार इतने डरे हुए रहते तो एनसीपी 10 दिनों से दूसरे सहयोगी से बात कर सरकार बनाने के प्रयास में जुटी नहीं रहती. 10 दिनों से उनकी आपस में सौदेबाजी चल रही थी. यह सारी बातें महज राजनीति से प्रेरित हैं. एक हद के बाद उन्हें भाजपा की नीतियां पसंद आयीं और उन्होंने अपनी जनता के लिए निर्णय लिया. महाराष्ट्र एक बड़ा राज्य है, वहां के हितों को देखते हुए हमने जो उचित लगा, उस लिहाज से फैसला लिया.

-भाजपा कद्दावर नेता सरयू राय की बगावत को किस नजर से देखती है.

भाजपा में लाखों कार्यकर्ता पार्टी की सेवा करते-करते अपना पूरा जीवन दे देते हैं और अंत में उन्हें कोई पद नहीं मिलता. कभी सुना है आपने कि वह पार्टी लाइन के खिलाफ गये. उन्होंने एक गलत निर्णय लिया है. सरयू राय मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ जमशेदपुर से निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर गए हैं. हमारा आंतरिक सर्वेक्षण है कि वह चुनाव हार रहे हैं.

-सरयू राय कहते हैं कि उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने की सजा मिली.

वह लगातार सरकार और पार्टी विरोधी बयान देते रहे हैं. 1999 से झारखंड आ रहा हूं, चीजों की समझ है मुझे. मैंने दो साल पहले भी सार्वजनिक रूप से कहा था कि विश्व की सबसे बड़ी पार्टी हमारी मां है, यहां अनुशासन हर किसी के लिए सर्वोच्च है.

-झारखंड में भाजपा दोबारा सत्ता में आयी, तो उसकी प्राथमिकताएं क्या रहेंगी.
जिस तरह से हमने गांव-गांव में बिजली और शौचालय बनवाये. लोगों के बीच साफ-स्वच्छ जल, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी सवालों पर मजबूती से काम करेंगे. ज्यादा से ज्यादा उद्योग लगाकर रोजगार उत्पन्न करना, आयुष्मान योजना का लाभ अंतिम व्यक्ति तक लागू कराना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी.

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