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MSP नंबूदिरी ने सबरीमला में मलिकाप्पुरम मंदिर के नये पुजारी के रूप में कार्यभार संभाला

सबरीमला : एमएस परमेश्वरन नंबूदिरी ने शनिवार को यहां अयप्पा मंदिर के पास स्थित मलिकाप्पुरम मंदिर के पुजारी का कार्यभार संभाल लिया. नंबूदिरी 17 नवम्बर को तय कार्यक्रम के अनुसार कार्यभार नहीं संभाल पाये थे. उनके परिवार में किसी की मौत हो गयी थी. देवस्वओम बोर्ड की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा […]

सबरीमला : एमएस परमेश्वरन नंबूदिरी ने शनिवार को यहां अयप्पा मंदिर के पास स्थित मलिकाप्पुरम मंदिर के पुजारी का कार्यभार संभाल लिया. नंबूदिरी 17 नवम्बर को तय कार्यक्रम के अनुसार कार्यभार नहीं संभाल पाये थे. उनके परिवार में किसी की मौत हो गयी थी. देवस्वओम बोर्ड की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि मलिकाप्पुरम देवी मंदिर के नये पुजारी के कार्यभार संभालने के लिए तांत्रिक कंडारू महेश मोहनारारू ने धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न कराये.

इस बीच, पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 16 नवंबर शाम में मंदिर खुलने के बाद से शनिवार तक साढ़े तीन लाख से अधिक दर्शन कर चुके हैं. नियंत्रण कक्ष के एक अधिकारी ने कहा कि मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं. अभी तक करीब साढ़े तीन लाख श्रद्धालु मंदिर में दर्शन कर चुके हैं. प्राधिकारी और श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि सरकार ने 12 लोगों की क्षमता वाले वाहन को पंबा तक ले जाने की इजाजत देने का निर्णय किया है.

इससे पहले, निजी वाहनों को केवल निलक्कल आधार शिविर तक ले जाने की इजाजत दी जाती थी. वहां से केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) की बसें चलती थीं. प्राधिकारियों ने निलक्कल में और एटीएम काउंटर खोले हैं. भगवान अयप्पा मंदिर गत 16 नवंबर को दो महीने चलने वाले मंडला मकारविलाक्कू तीर्थयात्रा मौसम के लिए खुला था. पिछले साल से अलग जब केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर, 2018 के सभी आयु वर्ग के महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने के फैसले को लागू करने के निर्णय के बाद हिंसक प्रदर्शन हुए थे.

इस साल श्रद्धालुओं ने प्रसन्नता जतायी कि कोई पाबंदी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के आदेश पर कोई रोक नहीं लगायी है, लेकिन इस बार राज्य सरकार ने कहा है कि मंदिर आंदोलन का अखाड़ा नहीं है और प्रचार के लिए आने वाली महिलाओं को वह प्रोत्साहित नहीं करेगी. पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बीते 14 नवंबर को 3:2 से दिये गये एक फैसले में धार्मिक मुद्दों को फैसले के लिए एक बड़ी पीठ को सौंपने का निर्णय किया. इनमें 2018 के न्यायालय के फैसले से उत्पन्न होने वाले मुद्दे भी शामिल थे.

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