बक्सर : पांच दिनों पूर्व शुरू हुए पंचकोस परिक्रमा के आखिरी दिन आज श्रद्धालु बक्सर पहुंचे. इस मौके पर समाजसेवी, साहित्यकार, बुद्धिजीवी, प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि समेत हजारों की संख्या में श्रद्धालु बक्सर पहुंच कर पहले गंगा स्नान किया और शहर के चरित्रवन में लिट्टी-चोखा खाकर पंचकोस परिक्रमा पूरी की. इस मेले में बिहार के आसपास के विभिन्न जिलों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड समेत अन्य राज्यों से लोग बक्सर में लिट्टी-चोखा खाने के लिए पहुंचे थे.
जानकारी के मुताबिक, पंचकोसी परिक्रमा में शामिल श्रद्धालु चौथे पड़ाव बड़का नुआंव से चल कर गुरुवार की अहले सुबह चरित्रवन स्थित पांचवें पड़ाव विश्वामित्र आश्रम के नाम से विख्यात बक्सर पहुंचे. यहां अपराहन में विराट संत सभा का आयोजन श्रीनिवास मंदिर में किया गया था. इसमें समिति के अध्यक्ष और बसांव मठ के मठाधीश्वर अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज, लक्ष्मी नारायण मंदिर के महंत राज गोपाल आचार्य जी महाराज, श्री निवास मंदिर के दामोदर आचार्य के अलावा कुलशेखर जी, भोलाबाबा नारायण उपाध्याय, छविनाथ त्रिपाठी, कृष्णानंद शास्त्री, पौराणिक जी महाराज, राजाराम शरण जी महाराज समेत अन्य संत मौजूद थे.
पंचकोसी परिक्रमा के पांचवें और अंतिम पड़ाव बक्सर का चरित्रवन है. यहां भगवान राम ने अपनी यात्रा के पांचवें दिन लिट्टी-चोखा ग्रहण किया था. उसी मान्यता के अनुसार पांचवें पड़ाव चरित्रवन पहुंचने पर श्रद्धालुओं ने लिट्टी-चोखा का प्रसाद ग्रहण कर पंचकोसी परिक्रमा का समापन किया. आजपंचकोसी परिक्रमा में शामिल करीब ढाई हजार साधु-संत और महात्माओं की विदाई के साथ पंचकोसी परिक्रमा संपन्न हो गया. परिक्रमा समिति के सचिव डॉ राम नाथ ओझा ने बताया कि विदाई बसांव मठाधीश द्वारा किया जायेगा. सभी साधु-संतों को वस्त्र आदि देकर बसांव मठाधीश प्रपन्नाचार्य जी महाराज द्वारा परिक्रमा का समापन हुआ.
इधर, जिला पार्षद ने अरविंद प्रताप साही उर्फ बंटी साहिब द्वारा रेड क्रॉस सोसायटी भवन में लिट्टी-चोखा का आयोजन किया गया. इसमें समाजसेवी, साहित्यकार, बुद्धिजीवी, प्रशासनिक अधिकारी शामिल हुए. आयोजन से पूर्व मनोरंजन और कविताओं का भी दौर चला. इस कार्यक्रम में साहित्यकारों ने उपस्थित लोगों को कविताएं सुना कर खूब वाहवाही लूटी. वहीं, सदर विधायक ने संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने अतिथि गृह में लिट्टी-चोखा का आयोजन किया. यहां भी अधिकारियों के साथ-साथ साहित्यकार, बुद्धिजीवी और हजारों आम लोग शामिल हुए. साथ ही लिट्टी-चोखा का प्रसाद ग्रहण करने का कार्यक्रम दिनभर चलता रहा.