रांची : झारखंड के मुख्य सचिव डीके तिवारी ने कहा है कि अब सूचना तकनीकी का उपयोग अधिकाधिक किया जायेगा. सैटेलाइट मैपिंग द्वारा उपयुक्त स्थान तय करने (साइट क्लियरेंस) के बाद ही जल संरक्षण की योजनाएं प्रदेश में बनायी जायेंगी.
मुख्य सचिव ने सूचना तकनीक के माध्यम से विभिन्न विभागों से समन्वय बनाकर उनकी योजनाओं के क्रियान्वयन को त्रुटिहीन बनाने का निर्देश दिया. कहा कि स्पेस एप्लीकेशन के सहारे हम बता सकते हैं कि जल संरक्षण की योजना, जैसे चेकडैम, वाटरशेड, कुआं, तालाब तथा डीप बोर आदि के लिए जमीन के भीतर कहां पानी है?
श्री तिवारी ने कहा कि इसके साथ ही अवैध खनन पर भी सैटेलाइट से नजर रखी जा सकती है. उन्होंने झारखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर को निर्देश दिया कि वह सिंचाई, वन, पेयजल, भूमि सुधार, कृषि, खान जैसे विभागों से समन्वय बनाकर उन्हें जानकारी उपलब्ध कराये.
मुख्य सचिव श्री तिवारी ने स्पष्ट किया कि आगे से योजना क्रियान्वयन का उपयुक्त स्थान तय होने के बाद ही उसकी स्वीकृति दी जायेगी और उसका प्राक्कलन बनेगा.