नयी दिल्ली: भारत की वैज्ञानिक और सेंटर फॉर सेल्यूलर एंड मोलीक्यूलर बायोलॉजी की चीफ साइंटिस्ट डॉ. मंजूला रेड्डी को साल 2019 के इंफोसिस अवॉर्ड के लिए सम्मानित किया गया है. डॉ. रेड्डी को ये पुरस्कार बैक्टीरियल सेल वॉल की संरचना और सिंथेसिस को समझने में उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए दिया गया है. बता दें कि इससे नई एंटीबयोटिक दवाओं के विकास में काफी सहायता मिलेगी.
CCMB scientist Manjula Reddy wins 2019 Infosys Prize for Life Sciences
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— ANI Digital (@ani_digital) November 8, 2019
नए सेल वॉल के निर्माण की दिशा में शोध
जानकारी के मुताबिक लंबे समय से वैज्ञानिकों का ये मानना रहा है कि नयी सेल वॉल के निर्माण के लिए जरूरी है कि मौजूदा सेल वॉल का एक तय पैटर्न के मुताबिक टूटना जरूरी है. लेकिन मुश्किल ये थी कि ऐसा करने वाले तंत्र का अस्तित्व अभी भी काफी उलझन भरे दौर में बना हुआ. जबकि इसके पीछे जो बैक्टीरिया जिम्मेदार हैं उनका पता लगाने के लिए पिछले सौ सालों से भी अधिक समय से अध्ययन जारी है.
एंटीबायोटिक दवाओं के निर्माण में फायदा
ऐसे में डॉ. मंजूला रेड्डी की प्रयोगशाला वो पहली जगह है जहां ऐसे एंजाइम की पहचान की गयी जो सेल वॉल के बनने तथा टूटने की प्रक्रिया को विनियमति करती हैं. वो तंत्र तो नई सेल वॉल के बनने से पहले मौजूद होनी चाहिए. मौजूदा समय में कई एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाता है किसी सेल वॉल के अंतिम चरण की पहचान करते हैं.
जानिए क्या है इंफोसिस पुरस्कार की कहानी
इन्फोसिस पुरस्कार प्रतिवर्ष समकालीन शोधकर्ताओं तथा वैज्ञानिकों को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों का सम्मान करने के लिए दिया जाता है. पुरस्कारों की घोषणा छह श्रेणियों में की जाती है. जिसमें शामिल है, इंजीनियरिंग एवं कम्प्यूटर साइंस, ह्यूमिनिटी, लाइफ साइंस, गणितीय विज्ञान, फिजिकल साइंस और सामाजिक विज्ञान. विजेताओं को स्वर्ण पदक, एक प्रशस्ति पत्र और एक लाख यूएस डॉलर की नगद राशि पुरस्कार के तौर पर दी जाती है.