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आइसीयू वार्ड की मशीनें खा रहीं जंग

आरा : सदर अस्पताल के आइसीयू वार्ड में पांच वर्षों से लाखों रुपये के उपकरण व मशीन जंग लगकर बर्बाद हो रही हैं. सरकार का लाखों रुपये बर्बाद हो रहा है. उद्घाटन के बाद से आज तक जिले के मरीजों को आइसीयू का लाभ नहीं मिल पाया है. साथ ही कई ऐसी मशीनें हैं, जो […]

आरा : सदर अस्पताल के आइसीयू वार्ड में पांच वर्षों से लाखों रुपये के उपकरण व मशीन जंग लगकर बर्बाद हो रही हैं. सरकार का लाखों रुपये बर्बाद हो रहा है. उद्घाटन के बाद से आज तक जिले के मरीजों को आइसीयू का लाभ नहीं मिल पाया है. साथ ही कई ऐसी मशीनें हैं, जो खराब भी हो गयी हैं. यूं कहें कि सदर अस्पताल का आइसीयू वार्ड सिर्फ कहने को ही है.

ऐसे तो कहने के लिए सदर अस्पताल में 36 चिकित्सकों की मौजूदगी है, लेकिन जब कोई गंभीर बीमारी या दुर्घटना में घायल मरीज इलाज के लिए सदर अस्पताल आता है, तो आइसीयू वार्ड के अंतर्गत मिलनेवाले लाभ से वंचित कर बेहतर इलाज के नाम पर पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है.
बता दें कि बिहार सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह ने दो अक्तूबर, 2014 को उद्घाटन किया गया था. उद्घाटन के बाद से कुछ दिनों के लिए इसे खोलकर रखा गया था, लेकिन बाद में बंद कर दिया गया.
सदर अस्पताल में पदस्थापित डॉक्टरों के आंकड़े इस प्रकार हैं. अस्पताल में 36 डॉक्टर मौजूद हैं. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि सदर अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है.
यहां 50-55 डॉक्टर होने चाहिए. ऐसे में डॉक्टरों की कमी के कारण आइसीयू क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है. जबकि चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन चाहे, तो इतने डॉक्टरों में भी आइसीयू का परिचालन कर सकता है. आइसीयू वार्ड 24 घंटा खुला रहेगा, जिसमें एनएसथेटिस्ट डॉक्टर की अगुआई में इसे चलाया जाता है.
जबकि सदर अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में तीन ही डॉक्टर मौजूद हैं. जबकि मेडिसिन और अर्थों को मिलाकर अस्पताल चाहे, तो आइसीयू चलाया जा सकता है. वर्तमान में खानापूर्ति के नाम पर चार जीएनएम नर्सों तथा एक डॉक्टर व चार चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को तैनात किया गया है.
डॉक्टरों की कमी का रोना रो रहा अस्पताल प्रबंधन
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि डॉक्टरों के अभाव में गहन चिकित्सा केंद्र का सुचारु रूप से परिचालन नहीं हो पा रहा है. जबकि सदर अस्पताल में सरकार के आदेशानुसार चार बेडों का आइसीयू वार्ड खोला गया था, जिसमें प्रावधान था कि यह आइसीयू वार्ड 24 घंटे मरीजों के लिए खुला रहेगा, लेकिन डॉक्टरों की कमी के कारण इसे बंद कर दिया गया.
वर्तमान में इस वार्ड को खोलकर रखा गया है, लेकिन इसका लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है. इस संबंध में सदर अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि डॉक्टर की कमी के कारण इसका क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
डॉक्टरों की कमी और नर्सिंग चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों के कमी के कारण आइसीयू को पूर्ण रूप से चलाने में कठिनाई हो रही है. प्रयास किया जा रहा है. इस संबंध में सरकार को भी चिट्टी लिखी गयी है, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई जवाब नहीं मिला है.
डॉ ललितेश्वर प्रसाद झा, सिविल सर्जन आरा

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