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पटना एम्स ब्रेन की प्रिंटिंग पर कर रहा है काम, इस तकनीक से भी पकड़े जा सकेंगे अपराधी

पटना : अब तक आपने फिंगर प्रिंट के जरिये अपराधियों को पकड़े जाने के बारे में सुना होगा. लेकिन, एम्स, पटना अब आपके ब्रेन की भी प्रिंटिंग करने की तैयारी कर रहा है. इससे आमलोग के साथ साथ अपराधियों के दिमाग की भी मैपिंग दर्ज जा सकेगी. एम्स पटना जीवित मनुष्यों के मस्तिष्क के प्रिंट […]

पटना : अब तक आपने फिंगर प्रिंट के जरिये अपराधियों को पकड़े जाने के बारे में सुना होगा. लेकिन, एम्स, पटना अब आपके ब्रेन की भी प्रिंटिंग करने की तैयारी कर रहा है.
इससे आमलोग के साथ साथ अपराधियों के दिमाग की भी मैपिंग दर्ज जा सकेगी. एम्स पटना जीवित मनुष्यों के मस्तिष्क के प्रिंट का एक डेटाबेस बना रहा है. ब्रेन प्रिंटिंग एक व्यक्ति को पहचानने के लिए एक विश्वसनीय तकनीक मानी जाती है. इससे किसी लावारिस के साथ ही अपराधियों की पहचान में भी मदद मिल सकेगी. शोधकर्ताओं के अनुसार, हम में से प्रत्येक के पास एक असाधारण मस्तिष्क है और वह हर व्यक्ति का स्पेशल होता है.
ठीक उसी तरह जैसे हर आदमी के पास फिंगर प्रिंट उसका स्पेशल होता है. एम्स पटना के एनाटोमी विभाग ने फिलहाल इसके लिए 15 मृत व्यक्तियों के मस्तिष्क प्रिंट एकत्र किये हैं और पटना एम्स के साथ नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर, पीजीआइ चंडीगढ़ और लैंगोन मेडिकल सेंटर, न्यूयॉर्क की टीम इस पर काम कर रही है. डॉक्टरों के अनुसार पूरे भारत में यह अपनी तरह की मस्तिष्क की पहली ब्रेन प्रिंटिंग होगी. दुनिया के विकसित देशों में अपराधियों की पूरी बॉडी स्कैनिंग रिकार्ड में रखी जाती है.
पूरे भारत में यह अपनी तरह की मस्तिष्क की पहली ब्रेन प्रिंटिंग होगी
कैसे होगी ब्रेन की प्रिंटिंग
एम्स के एनॉटामी विभाग के सीनियर रेजिडेंट डॉ रविकांत कहते हैं कि आज कल मस्तिष्क का सिटी और एमआरआइ स्कैन आम है. इसके जरिये हम ब्रेन प्रिंट कर सकते हैं. प्रिंट के पहले उस व्यक्ति की सहमति भी ली जाती है और इसके बाद न्यूरोलॉजी या न्यूरोट्रॉमा विभाग में उस पर शोध होता है.
वह कहते हैं कि विशिष्ट कॉर्टिकल पैटर्न जिसमें उभार और गहराई होती है, उसके आधार पर ब्रेन प्रिंट बनाया जाता है. जिस प्रकार आजकल सिटी स्कैन या एमआरआइ स्कैन आम हो चुके हैं, इसके बाद हम उसके डाटाबेस से ब्रेन प्रिंट बना सकते हैं. इसमें ब्रेन का नमूना 2 डायमेंशनल प्रिंटर के साथ लिया जाता है. रिसर्च टीम से जुड़े शोधकर्ता ब्रेन प्रिंट बनाने के लिए उसी तकनीक को अपना रहे हैं.
शिकागो में सम्मेलन में पेश हो चुका है शोध प्रस्ताव
इस संबंध में इंटरनेशनल न्यूरोसाइंस सम्मेलन की 50 वीं वर्षगांठ पर शोध प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है, जो शिकागो में 19 से 23 अक्तूबर के बीच आयोजित किया गया था.
पटना एम्स के साथ नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर, पीजीआइ चंडीगढ़ और लैंगोन मेडिकल सेंटर, न्यूयॉर्क के शोधकर्ताओं ने ब्रेन प्रिंटिंग पर अपना शोध प्रस्ताव पेश किया था. इसमें मस्तिष्क की कॉर्टिकल सतह से ब्रेन मैपिंग तकनीक के बारे में अध्ययन पेश किया गया था. इस टीम में एनाटॉमी विभाग के प्रमुख डॉ संजीव घोष और डॉ आशुतोष कुमार भी सदस्य थे.

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