नयी दिल्ली : दूरसंचार कंपनियों के संगठन सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने अपनी दूरसंचार कंपनियों के बीच तीखे मतभेदों के बीच भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया जैसी पुरानी कंपनियों पर पुराने सांविधिक बकाये पूरी तरह से माफ करने की सरकार से दोबारा मांग की. संगठन ने इस बारे में सरकार को पिछले पत्र के संदर्भ में परिशिष्ट के रूप में एक और पत्र भेजा है.
सीओएआई के महानिदेशक राजन एस मैथ्यूज ने 31 अक्टूबर को प्रसाद को यह दूसरा पत्र लिखकर 1.42 लाख करोड़ रुपये का पूरा बकाया माफ करने की मांग की है. सीओएआई ने दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद को लिख कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया आदेश के बाद दूरसंचार कंपनियों को 1.42 लाख करोड़ रुपये का भारी-भरकम बकाया भुगतान करना है. उसने कहा कि दूरसंचार कंपनियां पहले से ही संकटों से घिरी हुई हैं. ऐसे में वे इस बकाये का भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं.
इसके बाद जियो ने पलटवार करते हुए कहा कि सीओएआई दो सदस्य कंपनियों के दबाव में आकर उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए सरकार के साथ ब्लैकमेल करने वाली भाषा का इस्तेमाल कर रहा है. जियो का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट ने इन कंपनियों को बकाया चुकाने के लिए तीन महीने का वक्त दे रखा है और कंपनियां वित्तीय रूप से उसे चुकाने में समर्थ हैं. जियो भी सीओएआई का सदस्य है.
सीओएआई ने कहा है कि यदि पूरा बकाया माफ करना संभव न हो, तब हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि ब्याज, जुर्माना व जुर्माने पर ब्याज को माफ किया जाये. इसके अलावा, संगठन ने कहा कि चूंकि यह 14 वर्ष का एकत्रित बकाया है. इसलिए इसके भुगतान के लिए कंपनियों को 10 साल का समय मिले. मैथ्यूज ने टुकड़ों में भुगतान के साथ-साथ दो साल तक वसूली से मोहलत दिये जाने की भी मांग की है.
इससे पहले, भारती एयरटेल के प्रमुख सुनील भारती मित्तल और उनके भाई राजन मित्तल ने दूसरंसचार मंत्री रविशंकर प्रसाद तथा दूरसंचार सचिव अंशु प्रकाश से मुलाकात की थी. समझा जाता है कि उन्होंने दूरसंचार उद्योग की स्थिति और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से उत्पन्न स्थिति में राहत की मांग की थी. जियो सीओएआई पर दो सदस्य कंपनियों के भोंपू की तरह काम करने का आरोप लगाया है.
उसने कहा है कि सरकार को करदाताओं की लगत पर किसी कंपनी को कोई पैकेज नहीं देना चाहिए. उसका यह भी कहना है कि दूससंचार क्षेत्र के डूबने या एकाधिकार की स्थित पैदा होने का कोई खतरा नहीं है, क्योंकि इस क्षेत्र में सरकारी कंपनियां भी हैं और यह क्षेत्र दूसरी कंपनियों के लिए खुला है.
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