संयुक्त राष्ट्र : भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा समिति में कश्मीर मुद्दा उठाने पर पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर कभी भी संयुक्त राष्ट्र के ‘‘लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार” के एजेंडे का हिस्सा नहीं रहा और पाकिस्तान केवल क्षेत्रीय फायदे के लिए ऐसे सिरफिरे कदम उठा रहा है.
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की निवर्तमान राजदूत मलीहा लोधी ने महासभा समिति के समक्ष एक बार फिर कश्मीर का राग अलापते हुए कहा था कि कश्मीरी खुद निर्णय लेने के अपने अधिकार का इंतजार कर रहे हैं, जिसका सुरक्षा परिषद के 11 प्रस्तावों में वादा किया गया है.
यह समिति सामाजिक, मानवीय मामलों और मानवाधिकारों के मुद्दों को देखती है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव पॉलोमी त्रिपाठी ने बुधवार को ‘लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार’ पर महासभा की तीसरी समिति चर्चा में कहा, ‘‘यह प्रतिनिधिमंडल क्षेत्रीय फायदे के लिए सिरफिरे कदम उठा रहा है और भारत के अभिन्न हिस्से जम्मू-कश्मीर का जिक्र करके इस महत्वपूर्ण एजेंडे को कमजोर करने में भी उसने कोई संकोच नहीं किया .
” त्रिपाठी ने कहा, ‘‘सच यह है कि जम्मू-कश्मीर का मामला कभी संयुक्त राष्ट्र के ‘लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार’ के एजेंडे का हिस्सा नहीं रहा.” आत्मनिर्णय के लिए लोगों के अधिकार के सार्वभौमिक बोध पर महासचिव की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ ए/74/309 में निहित दस्तावेज को सतही तौर पर देखने से यह स्पष्ट होता है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा उल्लेख किए गए खुद निर्णय लेने के एजेंडे में जम्मू-कश्मीर शामिल नहीं है.” त्रिपाठी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में आत्मनिर्णय के मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर को कभी भी दोषी नहीं ठहराया है.