हुसैनाबाद : पलामू जिले की जपला सीमेंट फैक्टरी नीलाम हो गयी. इसके साथ ही इसके फिर से खुलने की आस भी खत्म हो गयी है. जिस जमीन पर यह फैक्टरी थी, वहां पर अब तक कोई अन्य उद्योग लगाने की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो सकी है.
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नीलाम हो गयी जपला सीमेंट फैक्टरी, नहीं लगा नया उद्योग
हुसैनाबाद : पलामू जिले की जपला सीमेंट फैक्टरी नीलाम हो गयी. इसके साथ ही इसके फिर से खुलने की आस भी खत्म हो गयी है. जिस जमीन पर यह फैक्टरी थी, वहां पर अब तक कोई अन्य उद्योग लगाने की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो सकी है. अब तक के सभी विधानसभा चुनावों में बंद […]
अब तक के सभी विधानसभा चुनावों में बंद जपला सीमेंट फैक्टरी को शुरू कराना चुनावी मुद्दा होता था. सोन नदी के तट पर इस फैक्टरी की नींव ब्रिटिश शासन काल के दौरान 1917 में मार्टिन बर्न ने रखी थी. यहां 1921 से उत्पादन शुरू हुआ था. इस फैक्टरी से जुड़े हजारों मजदूर व उनके परिवार की रोजी-रोटी चलती थी.
लेकिन 1984 में पटना के सिन्हा ग्रुप द्वारा फैक्टरी लेने के बाद इसकी स्थिति बिगड़ने लगी तथा बाद में यह बंद हो गयी. फिर मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की पहल पर सरकार ने फैक्टरी के संचालन के लिए आर्थिक सहायता दी तथा 1991 में यह फैक्टरी फिर शुरू हो गयी. पर 1992 में यहां फिर से उत्पादन बंद हो गया.
1921 में शुरू हुआ था फैक्टरी से उत्पादन
जपला सीमेंट फैक्टरी का नीलाम हो जाना दुखद है. इस कारखाने को फिर से शुरू करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा था. कई बार मुख्यमंत्री का ध्यान इस अोर आकृष्ट कराया. मुख्यमंत्री ने भरोसा भी दिया था. लेकिन फैक्टरी नीलाम हो गयी.
कुशवाहा शिवपूजन मेहता, विधायक हुसैनाबाद
यदि सरकार गंभीर होती, तो फैक्टरी नीलाम नहीं होती. इस पर सरकार की अोर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया.
रामाशंकर चौधरी
जपला सीमेंट फैक्टरी 1992 से मुद्दा रही. वर्ष 2018 में यह नीलाम हो गयी. िकसी एक को दोषी नहीं कहा जा सकता.
जुबैर अहमद
फैक्टरी नीलाम होना स्थानीय जनप्रतिनिधियों की नाकामी है. यदि जनप्रतिनिधि गंभीर होते तो जपला सीमेंट फैक्टरी नीलाम नहीं होती.
रामचंद्र राम
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