II उर्मिला कोरी II
फ़िल्म: मेड इन चाइना
निर्माता: मडॉक
निर्देशक: मिखिल मुसाले
कलाकार :राजकुमार राव, बोमन ईरानी,मौनी रॉय, परेश रावल,सुमीत व्यास,गजराज राव,अमायरा दस्तूर और अन्य
रेटिंग: ढाई
सेक्स संबंध पर खुले आम बात करना हमारे यहां प्रतिबंधित माना जाता रहा है. यही वजह है कि फिल्मों ने भी इस विषय से मीलों की दूरी बना ली थी लेकिन पिछले कुछ सालों से ये फासले कम हो रहे हैं. ‘मेड इन चाइना’ उसी की अगली कड़ी है लेकिन फ़िल्म अपनी कहानी या ट्रीटमेंट से इस विषय पर कुछ नया नहीं परोस पायी है. फिल्म देखते हुए कई बार हालिया रिलीज सोनाक्षी की फ़िल्म शफाखाना की याद दिला जाती है. हालांकि, मेड इन चाइना उस फिल्म से बेहतर ज़रूर है लेकिन अगर स्क्रीनप्ले और ट्रीटमेंट पर थोड़ा और काम किया जाता तो संभावनों से भरी यह फ़िल्म एक उम्दा फ़िल्म बन सकती थी.
फ़िल्म की कहानी की शुरुआत अहमदाबाद में इंडो चाइना समिट में चीन के एक जनरल की मौत मैजिक सूप पीने से हो जाती है. मैजिक सूप सेक्स को बढ़ाने वाली एक दवाई होती है. इस दवाई की जांच शुरू होती है और कहानी में रघु मेहता (राजकुमार राव) से परिचय होता है.
रघु मेहता एक बड़ा बिजनेस बनना चाहता है. अपनी खूबसूरत पत्नी के सारे सपने पूरे करना चाहता है. एमु के अंडे से लेकर चीन की चटाई सभी का वह बिजनेस कर चुका है लेकिन उसे हार ही मिली है और बड़े पापा और उसका बेटा लगातार रघु को नकारा साबित करने में लगे हैं लेकिन वो उससे निराश नहीं होता है.
कहानी में कुछ ऐसी सिचुएशन आती है कि रघु को अपने कजिन के साथ चीन जाना पड़ता है. वहां उसे सेक्स पावर बढ़ाने के लिए मैजिक सूप का आईडिया मिलता है. किस तरह से सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर विर्दी (बोमन ईरानी) की मदद से उसका आईडिया एक बहुत बड़े बिजनेस का रूप ले लेता है. ये फ़िल्म की आगे की कहानी में है.
चीन के जनरल की मौत में क्या रघु और डॉक्टर विर्दी दोषी साबित होंगे इसके लिए आपको फ़िल्म देखनी होगी। फ़िल्म का फर्स्ट हाफ धीमा है. सेकंड फर्स्ट हाफ में कहानी रफ्तार पकड़ती है लेकिन फ़िल्म जब खत्म होती है तो लगता है कि मनोरंजन कम मैसेज ज़्यादा हो गया है. फ़िल्म टुकड़ों में मनोरंजन करती है.
अभिनय की बात करें, राजकुमार राव और बोमन ईरानी दोनों ने अपनी भूमिका में कमाल किया है. इन दोनों का अभिनय ही है जो कमज़ोर ट्रीटमेंट के बावजूद यह फ़िल्म औसत मनोरंजन करती है. परेश रावल मेहमान भूमिका में ज़रूर हैं लेकिन याद रह जाते हैं. सुमित व्यास, गजराज राव, अमायरा दस्तूर, मनोज जोशी के हिस्से में जितने भी दृश्य आए हैं. वे अच्छे से निभा गए हैं.
फ़िल्म का गीत संगीत और संवाद ये पक्ष औसत रह गए हैं. इस तरह की फिल्मों की सबसे बड़ी जरूरत बेहतरीन संवाद होते हैं. फ़िल्म की सिनेमैटोग्राफी अच्छी है. गुजरात के रंग हो या चीन का ढंग सब पर्दे पर अच्छे से उकेरा गया है. कुलमिलाकर मेड इन चाइना अपने नाम की तरह ही मनोरंजन में चाइना का माल है साबित होती है.