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यहां घर-घर में बन रहे अवैध तरीके से पटाखे

कोलकाता : राज्य के विभिन्न जिलों में पिछले एक सप्ताह के अंदर पटाखा बनाते समय हुए विस्फोट की वजह से चार लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें दक्षिण 24 परगना में दो, हावड़ा में एक व पूर्व मेदिनीपुर में एक शामिल है. यह कोई नयी घटना नहीं है. अगर हम राज्य में पिछले आंकड़ाें […]

कोलकाता : राज्य के विभिन्न जिलों में पिछले एक सप्ताह के अंदर पटाखा बनाते समय हुए विस्फोट की वजह से चार लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें दक्षिण 24 परगना में दो, हावड़ा में एक व पूर्व मेदिनीपुर में एक शामिल है. यह कोई नयी घटना नहीं है. अगर हम राज्य में पिछले आंकड़ाें देखें तो पता चलेगा कि वर्ष 2011 से अब तक राज्य के विभिन्न जिलों में पटाखा बनाते समय हुए विस्फोट के कारण 60 से भी अधिक लोगों की मृत्यु हुई है, जबकि घायलों की संख्या 100 से भी अधिक है.

लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इन दुर्घटनाओं में मारे गये व घायल हुए लोगों को कोई मुआवजा नहीं मिलता है. क्योंकि यह पटाखा अवैध तरीके से तैयार किया जा रहा है और इसे राज्य के श्रम कानून ने मान्यता नहीं दी है.
दुर्गापूजा के पहले से ही राज्य के विभिन्न जिलों में पटाखा बनाने का सिलसिला शुरू हो जाता है. राज्य के तीन जिले दक्षिण 24 परगना, उत्तर 24 परगना व हावड़ा में तो यह कुटीर उद्योग जैसा है. इसके अलावा अब मालदा, उत्तर दिनाजपुर, पूर्व व पश्चिम मेदिनीपुर में कई गांवों में प्रत्येक घर में पटाखा बनाया जा रहा है. इस उद्योग के साथ लाखों लोग जुड़े हुए हैं, लेकिन राज्य सरकार ने इसे अब तक मान्यता नहीं दी है.
अवैध रूप से चल रहे 30 हजार से ज्यादा कारखाने
राज्य में मात्र 48 पटाखा कारखाना ऐसे हैं, जिन्हें राज्य सरकार ने मान्यता दी है. इनमें अधिकांश अलीपुर सब-डिवीजन क्षेत्र में स्थित हैं. इस क्षेत्र के 33 कारखानों को राज्य सरकार ने लाइसेंस दिया है. जबकि अवैध पटाखा कारखानों की संख्या 30 हजार से भी अधिक है, जहां लाखों की संख्या में लोग काम कर रहे हैं.
इस संबंध में पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण परिषद के पूर्व कानून अधिकारी व पर्यावरणविद विश्वजीत मुखोपाध्याय ने बताया कि अवैध पटाखा कारखानों में हुई दुर्घटनाओं में मरने वालों लोगों में अधिकांश किशोर व युवा हैं. इनके लिए राज्य सरकार ने किसी भी प्रकार का कोई मुआवजा देने की व्यवस्था नहीं की है. उन्होंने कहा कि उनके विचार से राज्य सरकार को इन लोगों के लिए क्षतिपूर्ति देने की व्यवस्था करनी चाहिए.
पीड़ितों को मुआवजा देना सरकार की जिम्मेदारी
अवैध पटाखा कारखानों में होने वाली दुर्घटनाओं में मारे जाने वाले व घायलों को मुआवजा देना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. इन लोगों के पास रोजगार का कोई वैकल्पिक साधन नहीं है, ऐसे में परिवार का भरण-पोषण करने के लिए वह ऐसा करते हैं.
इस संबंध में पर्यावरण संगठन ‘सबूज मंच’ के नव दत्त ने कहा कि इन कारखानों को सरकारी अनुमति नहीं मिलने के कारण लाखों लोग बिना किसी संरक्षण के इस व्यवसाय के साथ जुड़े हुए हैं.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को थोड़ा मानवीय होना होगा, क्योंकि इससे लाखों लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है. इसके साथ ही उन्होंने सुरक्षा मापदंडों को देखते हुए शर्तों के आधार पर पटाखा कारखानों को अनुमति देने की मांग की और कहा कि अगर उसके बाद भी कहीं अवैध तरीके से पटाखों का उत्पादन हो तो उसके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई हो.
उत्तर 24 परगना : सात दिनों में 350 किलो प्रतिबंधित पटाखे जब्त
उत्तर 24 परगना जिले के विभिन्न इलाकों में कालीपूजा व दीपावली को लेकर अवैध तरीके से प्रतिबंधित पटाखे बेचने वालों पर पुलिस की पैनी नजर है. पिछले सात दिनों में पुलिस ने हाबरा, गोबरडांगा और अशोकनगर थाना क्षेत्र में अभियान चला कर कुल 350 सौ किलो से अधिक प्रतिबंधित पटाखे जब्त किये हैं.
पुलिस की ओर से निरंतर अभियान चलाया जा रहा है. अवैध तरीके से बिक्री हो रहे प्रतिबंधित पटाखे जब्त किये जा रहे हैं. पुलिस की विशेष टीम कई इलाकों में विशेष नजरदारी रख कर प्रतिबंधित पटाखे बेचनेवालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई कर रही है.
सी सुधाकर, जिला पुलिस अधीक्षक, उत्तर 24 परगना
350 किलो अवैध पटाखे जब्त, पांच गिरफ्तार
खड़गपुर. कोतवाली थाना अंतर्गत छेडुवा गांव में पुलिस ने अभियान चलाकर 350 किलो अवैध पटाखे जब्त कर पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया. गौरतलब है कि छेडुवा लटकता गांव के अधिकांश घरों में बिना अावाज वाले पटाखे बनाये जाते हैं. इसी बीच पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि वहां तेज आवाज वाले पटाखे बनाये जा रहे हैं.

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