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पहली बार कानून की मदद से दो बच्चों को मिल रही पेंशन, मां की हो गयी मौत और पिता है जेल में

दिल्ली में अब दो बच्चों को ‘स्कीम फॉर फाइनेंशियल सस्टेनेंस एजुकेशन एंड वेलफेयर ऑफ चिल्ड्रन 2014’ के प्रावधान के तहत पेंशन मिलेगी. इनमें एक बच्चे की उम्र चार साल, तो दूसरे की उम्र साढ़े पांच साल है. इन दोनों बच्चों को 18 साल बालिग होने तक हर माह साढ़े छह हजार रुपये की पेंशन मिलती […]

दिल्ली में अब दो बच्चों को ‘स्कीम फॉर फाइनेंशियल सस्टेनेंस एजुकेशन एंड वेलफेयर ऑफ चिल्ड्रन 2014’ के प्रावधान के तहत पेंशन मिलेगी.
इनमें एक बच्चे की उम्र चार साल, तो दूसरे की उम्र साढ़े पांच साल है. इन दोनों बच्चों को 18 साल बालिग होने तक हर माह साढ़े छह हजार रुपये की पेंशन मिलती रहेगी. बच्चों का बैंक खाता खुल गया है.
इनकी दादी को अभिभावक बनाकर बैंक से पैसे निकलवाने का अधिकार दे दिया गया है. दिल्ली लीगल सर्विस अथॉरिटी के सचिव संदीप गुप्ता के अथक प्रयासों से यह संभव हो सका है. संभवतया देश का यह पहला मामला है, जब दो बच्चों की पेंशन शुरू हो रही है. मामला हौजकाजी इलाके का है, जहां 2012 में अकरम हुसैन का निकाह मुन्नवर जहां के साथ हुआ था. मार्च 2018 में पति-पत्नी के बीच झगड़ा हो गया. आग की लपटों में मुन्नवर बुरी तरह झुलस गयी थी. उसने अस्पताल में बयान दिया कि उसे अकरम ने जलाया है.
इसके बाद मुन्नवर की मौत हो गयी. पुलिस ने हत्या का केस दर्ज कर आरोपी अकरम को गिरफ्तार कर लिया. वह तिहाड़ जेल में है, लेकिन दंपती के बच्चों को संभालने वाला अब कोई नहीं था. मुन्नवर के परिजनों ने आर्थिक मदद के लिए कई दरवाजे खटखटाये, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. तब, दिल्ली लीगल सर्विस अथॉरिटी के सचिव संदीप गुप्ता ने बताया कि पीड़ित उनके पास भी आये थे. संदीप ने कहा कि चूंकि मामला बच्चों की जिंदगी से जुड़ा हुआ था, इसलिए यह सोचकर कि मदद का कोई न कोई जरिया अवश्य निकाला जाये, वे आगे बढ़ने लगे. अंत में वे अपने अभियान में शामिल रहे .
18 साल तक मिलेगी साढ़े छह हजार पेंशन
मदद दिलाने को बनी कमेटी सरकार का भी मिला साथ
पेंशन दिलाने के लिए तिहाड़ जेल व दिल्ली सरकार के महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्रालय से संपर्क किया गया. इसके लिए एक कमेटी बनी. इसमें महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्रालय, तिहाड़ जेल और एक न्यायिक अधिकारी शामिल थे. कमेटी ने इसका तरीका ढूंढ़ निकाला.
पिता जेल से छूटा तो बंद होगी मदद
खास बात है कि इस केस में बैंक खाता तो बच्चों के नाम पर खोला गया है, लेकिन बच्चों की आयु कम होने के कारण उनकी दादी को अभिभावक बनाया गया है. वे ही बैंक से पैसे निकाल सकेंगी. अगर बच्चों के 18 साल का होने से पहले उनके पिता जेल से बाहर आ जाते हैं, तो बच्चों को मिल रही पेंशन बंद हो जायेगी.

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