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भारतीय महिलाओं में कार्यस्थल के अंदर असुरक्षा का भाव : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष

वाशिंगटन : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जियॉर्जिवा का कहना है कि भारत में श्रमबल में महिलाओं की कम भागीदारी का कारण उनमें कार्यस्थल के अंदर असुरक्षा का भाव है. उन्होंने ‘महिला, कार्य और नेतृत्व: एकल संवाद’ कार्यक्रम में कहा, ‘‘महिलाएं स्कूल या कार्यस्थल पर जाने में सुरक्षित नहीं महसूस करती हैं.’ […]

वाशिंगटन : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जियॉर्जिवा का कहना है कि भारत में श्रमबल में महिलाओं की कम भागीदारी का कारण उनमें कार्यस्थल के अंदर असुरक्षा का भाव है. उन्होंने ‘महिला, कार्य और नेतृत्व: एकल संवाद’ कार्यक्रम में कहा, ‘‘महिलाएं स्कूल या कार्यस्थल पर जाने में सुरक्षित नहीं महसूस करती हैं.’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है. इसके कई कारण हैं और उनमें से एक असुरक्षा है. महिलाएं स्कूल या कार्यस्थल जाने में सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं. यह एक ऐसी समस्या है जिसे ठीक किया जा सकता है. इसके लिए प्रतिबद्धता की जरूरत है.’ डिलॉयट की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी 2005 के 36.7 प्रतिशत से कम होकर 2018 में 26 प्रतिशत पर आ गयी. इसमें कहा गया है कि गुणवत्तापरक शिक्षा तक पहुंच की कमी और कई तरह की सामाजिक, आर्थिक अड़चनों के चलते महिलाओं के लिए अवसर काफी सीमित हो जाते हैं.

भारत में चौथी औद्योगिक क्रांति के लिए महिलाओं एवं लड़कियों के सशक्तीकरण पर तैयार एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 19.5 करोड़ यानी 95 प्रतिशत महिलाएं असंगठित क्षेत्र में काम कर रही हैं अथवा उन्हें काम के लिए कोई भुगतान नहीं किया जाता है. रिपोर्ट में भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उन्हें अच्छी शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण पर जोर दिया गया है.

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