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मांडर : पड़हा के लोग परंपरागत निशान के साथ थिरकते हुए पहुंचे मेला स्थल

दो दिवसीय मुड़मा जतरा में हजारों की भीड़ उमड़ी समापन समारोह में शामिल हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास मांडर : सोमवार की शाम 40 पड़हा के पाहनों द्वारा जतरा खूंटा की पूजा-अर्चना के बाद शुरू हुए दो दिवसीय मुड़मा जतरा में हजारों की भीड़ उमड़ी. हर उम्र के लोगों ने मेले का आनंद उठाया. मंगलवार को […]

दो दिवसीय मुड़मा जतरा में हजारों की भीड़ उमड़ी
समापन समारोह में शामिल हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास
मांडर : सोमवार की शाम 40 पड़हा के पाहनों द्वारा जतरा खूंटा की पूजा-अर्चना के बाद शुरू हुए दो दिवसीय मुड़मा जतरा में हजारों की भीड़ उमड़ी. हर उम्र के लोगों ने मेले का आनंद उठाया. मंगलवार को परंपरा के अनुसार विभिन्न पड़हा के लोग अपने परंपरागत पड़हा निशान काठ के हाथी, घोड़े, मगरमच्छ, बाघ, चीता, मछली, झंडे, कंड़सा व रंपा-चपा के साथ थिरकते हुए मेला स्थल पर पहुंचे. शक्ति स्थल जतरा खूंटा की परिक्रमा कर खोड़हा में बंटकर नृत्य व गीत प्रस्तुत किये.
मेला में पश्चिम बंगाल, अोड़िशा, छत्तीसगढ़ के लोगों के अलावा कई गांव के पहान लकड़ी के हाथी व घोड़े पर सवार होकर अपने खोड़हा के साथ शामिल होने पहुंचे थे. बिजली चालित झूला, मौत का कुआं, ड्रेगन रेस, सर्कस व जादू का खेल मेला का आकर्षण रहा.
लोगों ने पारंपरिक हथियार, कृषि सामग्री, दैनिक उपयोग के सामान, शृंगार प्रसाधन, मिठाई, ईख, ढोल-मांदर व नगाड़े की खरीदारी की. बांस का बना मशहूर सब्जी हड़ुवा के अलावा डिम्बो भी यहां खूब बिका. बगैर किसी अप्रिय घटना के रात व दिन के 24 घंटे के इस मेले के शांतिपूर्वक संपन्न हो जाने से प्रशासन के अलावा राजी पाड़हा जतरा संचालन समिति के लोगों ने राहत की सांस ली है.

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