रांची : सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में सिविल सेवा परीक्षा (जेपीएससी-1, जेपीएससी-2) के सफल उम्मीदवारों की कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन का काम पूरा कर लिया गया है. सीबीआइ ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी. साथ ही कहा कि अब पुनर्मूल्यांकन के आदेश को वापस लेने के लिए दायर याचिका का कोई महत्व नहीं रह गया है.
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कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन का काम पूरा : सीबीआइ
रांची : सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में सिविल सेवा परीक्षा (जेपीएससी-1, जेपीएससी-2) के सफल उम्मीदवारों की कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन का काम पूरा कर लिया गया है. सीबीआइ ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी. साथ ही कहा कि अब पुनर्मूल्यांकन के आदेश को वापस लेने के लिए दायर याचिका का कोई […]
दरअसल, सोमवार को जेपीएससी घोटाले से जुड़े मामले की न्यायाधीश दीपक गुप्ता और न्यायाधीश सूर्यकांत की अदालत में सुनवाई हुई. सीबीआइ का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई उसी बेंच में होगी, जिसमें पहले हुई थी. इसके बाद सुनवाई स्थगित कर दी गयी.
पांच अगस्त को दिया था आदेश : न्यायमूर्ति न्यायाधीश दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने पांच अगस्त को कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन का आदेश दिया था. जेपीएससी को पुनर्मूल्यांकन में सहयोग करने और चार माह में जांच पूरी करने का आदेश दिया था. इस आदेश के आलोक में जेपीएससी ने कार्यालय में पुनर्मूल्यांकन के लिए कमरा दिया, साथ ही विशेषज्ञों की टीम बनायी.दंडाधिकारी की मौजूदगी में कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन शुरू हुआ.
इस बीच जेपीएससी-1 और जेपीएससी-2 के सफल उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन का आदेश वापस लेने का अनुरोध किया. इसी याचिका पर सुनवाई के लिए सोमवार की तिथि निर्धारित थी. अब इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति न्यायाधीश दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस की पीठ में ही होगी.
क्या है पुनर्मूल्यांकन का विवाद : नियमित प्राथमिकी दर्ज करने के बाद सीबीआइ ने कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन की योजना बनायी, ताकि साजिश में शामिल सभी पक्षों के खिलाफ जांच की जा सके. सीबीआइ ने ट्रायल कोर्ट में आवेदन देकर कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन कराने की अनुमति मांगी. ट्रायल कोर्ट की अनुमति के बाद कुछ कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन हुआ.
इसमें कुछ बड़े लोगों के रिश्तेदारों की कॉपियों में नंबर बढ़ा कर परीक्षा पास कराने का मामला सामने आया. इसके बाद पुनर्मूल्यांकन के मामले को हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी. इसमें यह कहा गया कि ट्रायल कोर्ट को इस बात का अधिकार नहीं है कि वह जांच एजेंसी को यह निर्देश दे कि वह जांच कैसे करे.
इसके बावजूद ट्रायल कोर्ट ने कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन का आदेश दिया, जो नियम सम्मत नहीं है. वहीं, जेपीएससी ने भी शपथ दायर कर कहा कि उसके लिए बने अधिनियम में पुनर्मूल्यांकन का प्रावधान नहीं है. मामले की सुनवाई के बाद हाइकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन के लिए दिये गये आदेश को गलत करार दिया. हालांकि यह भी कहा कि अगर सीबीआइ चाहे, तो पुनर्मूल्यांकन करा सकती है.
हाइकोर्ट के इस आदेश के बाद सीबीआइ ने जेपीएससी से कई बार अनुरोध किया कि वह पुनर्मूल्यांकन के लिए विशेषज्ञों की टीम बनाये. इसमें उन लोगों के नहीं शामिल करे, जिन्होंने जेपीएससी-1 और जेपीएससी-2 की कॉपियों का मूल्यांकन किया है. लेकिन जेपीएससी पुनर्मूल्यांकन कराने से इनकार करती रही.
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