दिल्ली: यमुना नदी में इस बार किसी भी प्रतिमा का विसर्जन नहीं होने दिया गया. नवरात्रि तथा दशहरा के इतिहास में ये पहला मौका था जब यमुना नदी में मूर्तियों को विसर्जन नहीं हुआ. पुलिस तथा प्रशासन के साझा प्रयासों से इस बार यमुना के लगभग सभी घाटों पर मजबूत बैरिकेटिंग की गयी थी. किसी भी पूजा समिति को यमुना नदी में मूर्तियों के विसर्जन की अनुमति नहीं दी गयी.
पुलिस ने घाटों में की थी मजबूत बैरिकेटिंग
पूजा समितियां हालांकि विभिन्न वाहनों में मूर्तियों को लादकर यमुना नदी की तरफ बढ़ रही थी. लेकिन पुलिस ने सबको बैरंग लौटा दिया. पुलिस को इसके लिए कभी लोगों को समझाया तो कभी उन्हें सख्ती भी दिखानी पड़ी. पुलिस के मना करने के बाद लोगों ने दिल्ली सरकार द्वारा बनवाए गए अस्थायी तालाबों में मूर्ति का विसर्जन किया.
दिल्ली सरकार बीते कई सालों से पर्यावरण संरक्षण तथा यमुना के ताजा हालात को देखकर प्रतिमा विसर्जन के लिए अस्थायी तालाबों का निर्माण करवाती है. इस बार भी लोगों से इको-फ्रेंडली दशहरा मनाने की अपील की गयी थी.
ज्यादातर लोगों ने फैसले का स्वागत किया
कोई भी यमुना नदी में प्रतिमा का विसर्जन ना कर पाये इसके लिए पुलिस के जवान रात से संबंधित इलाकों में तैनात थे. कुछ लोग जो प्रतिमा विसर्जन के लिए घाट के पास पहुंच गए थे, उनकी शिकायत थी कि प्रशासन की तरफ से उन्हें अस्थायी तालाबों में प्रतिमा विसर्जन के बारे में जानकारी नहीं थी.
कुछ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हम रात से ही पेट्रोलिंग पर तैनात थे ताकि यमुना नदी में प्रतिमा के विसर्जन को रोका जा सके. इनका कहना है कि ज्यादातर लोगों ने इसका स्वागत किया और सहयोग भी किया.