नयी दिल्ली: मुंबई की आरे कालॉनी में काटे जा रहे पेड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. छात्रों द्वारा मामले में हस्तक्षेप करते हुए मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजे जाने के बाद एक विशेष पीठ सोमवार की सुबह 10 बजे इस मामले पर सुनवाई करेगी. इसके लिए अवकाश के दिन विशेष रूप से पीठ बैठेगी और मामले की सुनवाई करेगी.
छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को पत्र लिख कर अपने विशेषाधिकारों का इस्तेमाल करते हुए मामले में तुरंत सुनवाई करने का आग्रह किया था. लॉ स्टूडेंट रिशव ने कहा कि पेड़ों को काटने से रोकने की लड़ाई में अभी हार नहीं हुई है. मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने वाले छात्रों के प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि इस मामले में अपील करने के लिए समय नहीं है. लिहाजा चीफ जस्टिस से गुहार लगायी गयी है.
वहीं, पेड़ों की कटाई के विरोध में प्रदर्शन करने वाले जिन 29 पर्यावरण कार्यकर्ताओं को पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार किया था, उन सभी को मुंबई की एक अदालत ने जमानत दे दी. इनमें शिवसेना की उपाध्यक्ष प्रियंका चतुर्वेदी और पूर्व मेयर सुभा राउल भी हैं. क्षेत्र में धारा 144 निषेधाज्ञा लागू है और कई स्थानों पर कटे हुए पेड़ पड़े हुए हैं.
विकास और संरक्षण की इस लड़ाई में यह कहना मुश्किल है कि कौन जीता और कौन हारा, लेकिन कोलाबा और सीपजेड के बीच बनने वाले वर्ली-बांद्रा सीलिंक पर काम बेरोकटोक जारी है. आरे कंजर्वेटिव ग्रुप की अमृता भट्टाचर्जी ने कहा कि शनिवार को 1,500 से ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं.
यह है मामला :
मुंबई में पांच सालों से पर्यावरण कार्यकर्ताओं और मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के बीच यह लड़ाई चल रही है. मेट्रो शेड के लिए आरे कॉलोनी के 2700 पेड़ों को काटा जा रहा है. लड़ाई शुक्रवार को तब सड़क पर आ गयी, जब पेड़ों की कटाई शुरू हुई. शनिवार को बॉम्बे हाइकोर्ट ने पर्यावरण कार्यकर्ता और एनजीओ वनशक्ति की उस याचिका को तुरंत स्वीकार करने से मना कर दिया था, जिसमें पेड़ों को काटने पर रोक लगाने की मांग थी.
कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने से वह अपने पूर्व में दिये फैसले का उल्लंघन करेगा. इसके तुरंत बाद एमएमआरसी को आरे में स्थित पेड़ काटने की अनुमति दी, उसने तुरंत अपना काम शुरू कर दिया था.