मुंबई : दिवंगत बाल ठाकरे द्वारा साल 1966 में शिवसेना का गठन किया गया था तब से लेकर अबतक ठाकरे परिवार ने राजनीति जरूर की लेकिन खुद कभी चुनावी मैदान में नहीं उतरे. ठाकरे परिवार हमेशा किंगमेकर की भूमिका में रहा. उनकी इसी परंपरा को बेटे उद्धव ठाकरे ने कायम रखा लेकिन उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे पहली बार ठाकरे परिवार की ऱणनीति से अलग चुनावी मैदान में कदम रख रहे हैं.
उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने 2014 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा जताई थी लेकिन बाद में उन्होंने अपने कदम पीछे ले लिये. 53 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब ठाकरे परिवार का कोई सदस्य चुनावी मैदान में है. आदित्य ठाकरे जिस तरह खुलकर राजनीति में अपनी बात रखते रहे लोगों को संबोधित किया, राजनीति पर नजर रखने वाले लोगों को अंदाजा था कि आदित्य चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन ठाकरे परिवार के इतिहास को देखते हुए कई लोग इस पर खुलकर अपनी बात नहीं रखते थे. लेकिन आदित्य ठाकरे ने चुनाव लड़ने का फैसला लेकर यह साबित कर दिया है कि नयी पीढ़ी अब नयी रणनीति के साथ आगे बढ़ेगी.
आदित्य ठाकरे शिवसेना के युवा सेना के प्रमुख है. जब आदित्य के चुनाव लड़ने की चर्चा हुई तो शिवसेना के मौजूदा विधायक सुनील शिंदे आदित्य के लिए अपना स्थान खाली कर दिया. वर्ली को सबसे सुरक्षित सीट में से एक समझा जाता है. एनसीपी के पूर्व नेता सचिन अहीर हाल में शिवसेना में शामिल हुए थे जो आदित्य ठाकरे की जीत को आसान बना सकते है.’ अहीर को 2014 के विधानसभा चुनाव में सुनील शिंदे ने शिकस्त दी थी.
ठाकरे परिवार की राजनीति अब किंगमेकर से बदलकर किंग बनने की तरह बढ़ रही है यही कारण है कि उद्धव ठाकरे ने अपने उस ‘वादे’ को दोहराया जो दिवंगत पिता बाल ठाकरे से किया था. उन्होंने एक ‘शिव सैनिक’ (पार्टी कार्यकर्ता) को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था. आदित्य के चुनाव लड़ने से पार्टी में उत्साह है और कार्यकर्ताओं ने अभी से ऐलान कर दिया है कि आदित्य मुख्यमंत्री बनेंगे.
पार्टी के सीनिर नेता संजय राउत ने तो यहां तक कह दिया था कि आदित्य ठाकरे सीएम ऑफिस तक जरूर पहुंचेंगे. वहीं आदित्य ठाकरे के नामांकन से पहले आज पार्टी के नेता अरविंद सावंत ने दावा किया कि वे वर्ली जीतेंगे और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनेंगे. आदित्य ठाकरे अपने पूरे परिवार के साथ नामांकन दाखिल करने पहुंचे थे. खास बात यह है कि उनके चाचा यानि राज ठाकरे ने भी अपनी पार्टी से आदित्य के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है.
इस बार शिवसेना और बीजेपी मिलकर चुनाव लड़ रही है. राज्य में विधानसभा की 288 सीटे हैं. सीट शेयरिंग के तहत शिवसेना को 124 सीटें मिली हैं. वहीं बीजेपी ने अबतक 125 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं. यानी समझौते के तहत 249 सीटों की तस्वीर साफ हो चुकी है. बाकी की बची 39 सीटों को लेकर अभी कुछ सामने नहीं आया है.