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क्या भारत पूरी तरह बना ODF, सरकार का दावा कितना सच: फ़ैक्ट चैक

<figure> <img alt="भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी" src="https://c.files.bbci.co.uk/04F1/production/_109056210_f1c615b4-7276-4da3-912a-f7f447991ed9.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के साबरमती आश्रम से यह घोषणा करने वाले हैं कि भारत एक ‘ओडीएफ़’ देश बन गया है यानी एक ऐसा देश जहाँ लोग खुले में शौच नहीं कर रहे.</p><p>भारत सरकार के पेयजल और […]

<figure> <img alt="भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी" src="https://c.files.bbci.co.uk/04F1/production/_109056210_f1c615b4-7276-4da3-912a-f7f447991ed9.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के साबरमती आश्रम से यह घोषणा करने वाले हैं कि भारत एक ‘ओडीएफ़’ देश बन गया है यानी एक ऐसा देश जहाँ लोग खुले में शौच नहीं कर रहे.</p><p>भारत सरकार के पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार 2 अक्तूबर 2014 से लेकर अब तक देश में 10,07,51,312 (10 करोड़ से ज़्यादा) टॉयलेट बनाये गए हैं जिसके आधार पर भारत को 100 प्रतिशत ‘ओडीएफ़’ घोषित किया जा रहा है.</p><p>सरकारी वेबसाइट के अनुसार पिछले साल फरवरी में ही सिक्किम, केरल, मेघालय, हिमाचल प्रदेश समेत भारत के 11 राज्यों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया था.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49808148?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">इंदिरा गांधी और नेहरू की वायरल तस्वीर का सच</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49752627?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या यूपी को तीन हिस्सों में तोड़ने वाली है सरकार?</a></li> </ul><p>इन 11 राज्यों में हरियाणा एक ऐसा राज्य है जिसके मुख्यमंत्री मनोहर लाल ये कह चुके हैं कि ‘उनके सूबे के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को ओडीएफ़ कर दिया गया है और अब हरियाणा ‘ओडीएफ़ प्लस’ की ओर बढ़ रहा है’ यानी हरियाणा के गाँवों में ठोस और तरल अपशिष्ट के प्रबंधन की व्यवस्थाएं की जाएंगी.सीएम मनोहर लाल के इस बयान को ध्यान में रखते हुए बीबीसी की एक टीम ने उन्हीं के गाँव का दौरा किया और उनके दावे की जांच की.हमने पाया कि ओडीएफ़ घोषित होने के बाद भी उनके गाँव के 200 से ज़्यादा लोग रोज़ाना खुले में शौच के लिए जाते हैं. इनमें काफ़ी लोग ऐसे हैं जो आदतन खुले में शौच के लिए जाते हैं. पर उन लोगों की संख्या भी कम नहीं है जो ऐसा करने को मजबूर हैं, क्योंकि उनके घरों में आज भी शौचालय नहीं बन पाये हैं.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49508491?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">दिल्ली में ‘मॉब लिचिंग’ की घटना का पूरा सच</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49484600?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">भारतीय रुपया क्या बांग्लादेशी टका से भी पिछड़ा?</a></li> </ul><h1>’घर में गंदगी नहीं, इसलिए बाहर शौच'</h1><p>मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के करनाल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते हैं. सीएम बनने के बाद वो चंडीगढ़ के मुख्यमंत्री आवास में रहे हैं. लेकिन रोहतक ज़िले में पड़ने वाले कलानौर विधानसभा क्षेत्र के बनियानी गाँव में उनका घर है. मनोहर लाल के नामांकन पत्र के अनुसार बनियानी गाँव में उनकी 12 कनाल (क़रीब 6 बीघा) ज़मीन भी है.</p><p>बुधवार तड़के जब बीबीसी की टीम बनियानी गाँव पहुँची तो खुले में शौच करके लौटते क़रीब 50 लोगों से गाँव की उत्तर दिशा में स्थित एक तालाब के पास बातचीत हुई.</p><figure> <img alt="कलानौर विधानसभा क्षेत्र का बनियानी गाँव" src="https://c.files.bbci.co.uk/5311/production/_109056212_3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>कलानौर विधानसभा क्षेत्र का बनियानी गाँव</figcaption> </figure><p>इन लोगों ने बताया, ”वो रोज़ सुबह गाँव के शमशान घाट से सटे खाली खेत में शौच के लिए जाते हैं और ये कोई नई बात नहीं है.”80 वर्षीय एक बुज़ुर्ग ने कहा, &quot;खुले में शौच जाने के कई फ़ायदे हैं. सुबह घूमने का बहाना हो जाता है और घर पर गंदगी नहीं होती. घर पर जो टॉयलेट है, उसे बस रात-बिरात ही इस्तेमाल करते हैं. गाँव की सीमा में कई खाली खेत हैं, जहाँ लोग अक्सर शौच के लिए जाते हैं.&quot;जिन लोगों से बनियानी गाँव में हमारी बात हुई, उनमें इक्का-दुक्का लोगों को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के बारे में पता था.गाँव के लोगों ने हमें बताया कि खुले में शौच जाने वालों में सिर्फ़ पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं और बच्चे भी हैं.</p><figure> <img alt="कलानौर विधानसभा क्षेत्र का बनियानी गाँव" src="https://c.files.bbci.co.uk/A131/production/_109056214_4.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>’हर घर में शौचालय’: दावे को चुनौती</h1><p>मार्च 2018 में सीएम खट्टर के बनियानी गाँव को ओडीएफ़ सर्टिफ़िकेट दिया गया था. गाँव के सरपंच बंसी लाल विज ने बीबीसी से इसकी पुष्टि की.</p><p>उन्होंने दावा किया कि गाँव के सभी घरों में शौचलय हैं और इसी के आधार पर उनके गाँव को पिछले साल रोहतक ज़िला प्रशासन से ओडीएफ़ सर्टिफ़िकेट मिला था.</p><p>बुधवार को साबरमती आश्रम में देश के अलग-अलग राज्यों से पहुँचे सरपंचों को अपने गाँवों को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए सम्मानित किया जाएगा. इसके लिए सरपंच बंसी लाल भी गुजरात पहुँचे हैं.</p><p>साल 2016 में गाँव के सरपंच बने बंसी लाल ने बीबीसी को बताया, &quot;बनियानी गाँव में क़रीब आठ हज़ार लोग रहते हैं. दलित बहुल इस गाँव में प्रजापति, पंजाबी, राजपूत और विमुक्त जातियों के भी कुछ लोग रहते हैं. इन सभी के घरों में शौचालय हैं.&quot;</p><p>लेकिन गाँव में रहने वाले कुछ परिवारों ने ग्राम सरपंच के इस दावे को ग़लत बताया. </p><figure> <img alt="65 वर्षीय चंद्रपति" src="https://c.files.bbci.co.uk/EF51/production/_109056216_1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>65 वर्षीय चंद्रपति कहती हैं कि उनके घर में शौचालय नहीं है.</figcaption> </figure><h1>’घर में शौचालय नहीं, बाहर ज़मीन भी नहीं'</h1><p>बनियानी गाँव के सरकारी स्कूल के सामने रहने वालीं 25 वर्षीय रेखा हाल ही में माँ बनी हैं और अपने परिवार के साथ एक कमरे के मकान में रहती हैं.</p><p>उन्होंने दावा किया कि बीते दो साल में वो तीन-चार बार शौचालय के लिए फ़ॉर्म भर चुकी हैं, लेकिन प्रशासन की तरफ़ से उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई.</p><p>उन्हीं के मोहल्ले में रहने वाले रिंकू सिंह ने हमें बताया कि शौचालयों का आवंटन सरपंच की पसंद से होता है. उनके मोहल्ले में 80 से ज़्यादा लोग रहते हैं, लेकिन तीन ही शौचालय हैं.</p><figure> <img alt="बनियानी गाँव की रहने वालीं रेखा को प्रसव के बाद पड़ोस का शौचालय इस्तेमाल करना पड़ता है." src="https://c.files.bbci.co.uk/996B/production/_109057293_2.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>बनियानी गाँव की रहने वालीं रेखा को प्रसव के बाद पड़ोस का शौचालय इस्तेमाल करना पड़ता है.</figcaption> </figure><p>रेखा की तरफ़ इशारे करते हुए उन्होंने कहा, &quot;हमारे मोहल्ले की कई महिलाओं को शौच के लिए खुले में ही जाना पड़ता है. लेकिन जच्चा का खुले में शौच के लिए जाना कई बीमारियों की वजह बन सकता है. इसलिए वो अपने पड़ोसी के घर का शौचालय इस्तेमाल कर रही हैं जो उन्होंने ख़ुद पैसे जोड़कर बनवाया है. इससे पहले उन्होंने कई बार शौचालय के लिए फ़ॉर्म भरा था पर सरपंच से उन्हें कोई जवाब नहीं मिला.&quot;</p><p>इसी गली के आख़िर में 65 वर्षीय चंद्रपति का जर्जर मकान है. उनकी एक आँख की रोशनी ना के बराबर रह गई है और बेटे से बनी दूरियों ने उनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया है.</p><p>उन्होंने बताया, &quot;बूढ़ी हूँ इसलिए रात में खेतों में जाने से डर लगता है. नज़रें कमज़ोर हो गई हैं इसलिए रात में शौच जाना हो तो घर में ही करना पड़ता है. फिर सुबह उसे उठाकर खेतों में फेंक कर आते हैं. लेकिन हम भूमिहीन हैं तो ज़मीनों वाले हमें शौच के लिए अपने खेतों में भी नहीं बैठने देते. कई बार वो डाँट कर भगा देते हैं. शौचालय के लिए कई फ़ॉर्म भर दिये. कई बार तस्वीरें भी लेने आये. पर बाद में क्या हुआ, इसकी हमें जानकारी नहीं है.&quot; </p><h1>ओडीएफ़ के आंकड़े क्या माहौल बनाने के लिए हैं?</h1><p>गाँव वालों के दावे को आधार मानकर हमने रोहतक ज़िले के एडीसी (अतिरिक्त उपायुक्त) अजय कुमार से बात की.</p><p>हमने उनसे पूछा कि जब सभी घरों में शौचालय नहीं हैं तो 100 फ़ीसद ओडीएफ़ का सर्टिफ़िकेट बनियानी गाँव को कैसे मिला? क्या इसके लिए कोई जाँच या निरीक्षण नहीं किया जाता?</p><p>इन सवालों के जवाब में अजय कुमार ने कहा, &quot;साल 2017-18 में रोहतक ज़िले की 139 ग्राम सभाओं को यह सर्टिफ़िकेट दिया गया था कि ज़िले के किसी भी गाँव में लोग खुले में शौच नहीं करते. सभी गाँवों में, हर घर में शौचालय बना दिये गए हैं. लेकिन बीते दो वर्षों में अगर नए घर बने हैं तो हो सकता है, उनमें शौचालय ना हों.&quot;</p><figure> <img alt="बनियानी गांव" src="https://c.files.bbci.co.uk/E78B/production/_109057295_6.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>पर क्या इस स्थिति को सरकार सार्वजनिक तौर पर स्वीकार कर रही है क्योंकि सरकारी वेबसाइट पर 100 प्रतिशत खुले में शौच मुक्त होने का दावा किया जा रहा है? इस सवाल का अजय कुमार ने कोई जवाब नहीं दिया.</p><p>जाँच के सवाल पर उन्होंने कहा, &quot;ग्राम सरपंचों के दावों की जाँच केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई थर्ड पार्टी कंपनियाँ करती हैं. वो गाँव का सर्वे करती हैं और उनकी रिपोर्ट के आधार पर हम सर्टिफ़िकेट देते हैं. ओडीएफ़ सर्टिफ़िकेट हासिल करने के लिए हर घर में शौचालय होना एक ज़रूरी शर्त है और यह देखना कि लोग खुले में शौच के लिए तो नहीं जा रहे, ये हमारी ज़िम्मेदारी है.&quot;</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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