- फिल्म : वॉर
- निर्माता : यशराज
- निर्देशक : सिद्धार्थ आनंद
- कलाकार : रितिक रोशन, टाइगर श्रॉफ, वाणी कपूर, आशुतोष राणा और अन्य
- रेटिंग : दो स्टार
उर्मिला कोरी
यशराज बैनर की वॉर में बॉलीवुड के दो बड़े एक्शन स्टार रितिक रोशन और टाइगर श्रॉफ नजर आ रहे हैं. फिल्म के फर्स्ट लुक से ही ये तय हो गया था कि फिल्म में जबरदस्त एक्शन देखने को मिलेगा. आज जब फिल्म रिलीज हुई, तो फिल्म में जबरदस्त एक्शन तो देखने को मिला, लेकिन एक्शन जितना सशक्त था कहानी उतनी ही कमजोर है.
कहानी में ट्विस्ट और टर्न भी रखे गए हैं लेकिन वो ट्विस्ट और टर्न अब्बास मस्तान की फिल्मों से ज्यादा प्रेरित लगते हैं. 60 और 70 के दशक में भी कई फिल्मों में वो फार्मूला आजमाया गया था.
आजमाए हुए फॉर्मूले से बनी कमजोर कहानी पर आयें, तो फिल्म की कहानी देश के सबसे सीक्रेट एजेंट कबीर (रितिक रोशन) की है, जिसके लिए देश से बड़ा कुछ नहीं है. देश से आतंकवाद के खात्मे के लिए वह एक सीक्रेट मिशन पर है, लेकिन आंतकवादी इल्यासी को वो पकड़ने में नाकामयाब हो जाता है. उसके बाद कबीर अपने ही देश के अधिकारियों की हत्या करने लगता है. सबको लगता है कि कबीर देशद्रोही हो गया है.
कबीर को पकड़ने का जिम्मा खालिद (टाइगर श्रॉफ) को मिलता है, जिसने कबीर के अंडर ही ट्रेनिंग पायी थी. खालिद का भी अपना एक अतीत है और उससे जुड़ा एक ट्विस्ट भी. कुल मिलाकर कल तक जो गुरु-चेले थे, वो आज एक दूसरे के जान के दुश्मन हैं. क्या होगा इस वॉर का और कहानी के उस ट्विस्ट का? उसी पर आगे की फिल्म है. फिल्म की कहानी अति अति नाटकीय है. सिनेमैटिक लिबर्टी से हम सभी वाकिफ हैं, लेकिन उसके नाम पर इतनी फर्जी कहानी थोपना सही नहीं ठहराया जा सकता है. मसाला फिल्मों के दर्शक कहानी के इस ट्विस्ट को भांप जाते हैं. फिल्म सेकंड हाफ में खिंच भी गयी है.
फिल्म के अच्छे पहलुओं की बात करें, तो फिल्म की यूएसपी इसका एक्शन है,जो हॉलीवुड फिल्मों की याद दिलाता है. कार, बाइकसेलेकर हेलीकॉप्टर और घर की छत से लेकर पहाड़ तक हर जगह हर तरफ एक्शन है. फिल्म के निर्माता और निर्देशक ने सिर्फ एक्शन, लुक और स्वैग पर ही पूरा फोकस किया है. ये बात आपको फिल्म देखते हुए शिद्दत से महसूस होती है. यही वजह है कि कहानी के नाम पर उन्होंने कुछ भी परोस दिया है.
अभिनय पर आते हैं, तो रितिक अपने लुक, अंदाज, डायलॉग डिलीवरी सभी में बेहतरीन रहे हैं. एक अरसे बाद उनका यह अंदाज परदे पर देखना सुखद है. टाइगर की भी तारीफ करनी होगी. उनकी मेहनत दिखती है. इन दोनों का स्टार पावर ही था, जो फिल्म अपनी कमजोर कहानी के बावजूद सिर्फ बोझिल जान पड़ती है, सिर धुनने को मजबूर नहीं करती.
पूरी फिल्म में वाणी कपूर के हिस्से में मुश्किल से 10 मिनट आये हैं, जिसमें वो अपने ग्लैमरस अंदाज को ही बयां कर पायी हैं. बाल कलाकार दिशिता सहगल अच्छी रही हैं. आशुतोष राणा सहित बाकी के कलाकारों ने मिले स्क्रीन स्पेस में अच्छा काम किया है. फिल्म के गाने औसत हैं. जबरदस्ती के गाने फिल्म में नहीं ठूंसे गए हैं, ये अच्छी बात है. फिल्म का संवाद बहुत घिसा-पिटा है. कुल मिलाकर अगर आप कहानी के नाम पर कुछ भी देख सकते हैं, फिल्म में आपको सिर्फ जबरदस्त एक्शन और नायक के सुपर हैंडसम दिखने से सरोकार है, तो यह फिल्म आपका मनोरंजन कर सकती है.