10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रांची :संस्कृति की नींव में दरार पड़ी, तो आदिवासी-सदान दोनों को घाटा

मूलवासी सदान मोर्चा की बैठक में उभरी राय मूलवासी सदानों की जनभागीदारी पर जोर रांची : झारखंड के सदानों का इतिहास बहुत पुराना रहा है. आदिवासी और सदान इस राज्य के प्रमुख घटक हैं, जिस पर इस संस्कृति की नींव खड़ी है. अगर इनमें से एक को भी हिलाने की कोशिश की गयी, तो झारखंड […]

मूलवासी सदान मोर्चा की बैठक में उभरी राय
मूलवासी सदानों की जनभागीदारी पर जोर
रांची : झारखंड के सदानों का इतिहास बहुत पुराना रहा है. आदिवासी और सदान इस राज्य के प्रमुख घटक हैं, जिस पर इस संस्कृति की नींव खड़ी है. अगर इनमें से एक को भी हिलाने की कोशिश की गयी, तो झारखंड की सामाजिक, सांस्कृतिक,आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था ही चरमरा जायेगी. दुर्भाग्य से सदानों को हाशिये पर डालकर इस नींव को हिलाने की कोशिश की जा रही है.
विवि के पाठयक्रम में जनजातीय संस्कृति के साथ सदानी संस्कृति की भी पढ़ाई होती थी, जिसे हटा दिया गया. इतना ही नहीं, जनजातीय क्षेत्रीय भाषा विभाग के पाठ्यक्रम में झारखंड के शहीदों में से वीर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को हटा दिया गया है. इसे देखकर हमारे पूर्वजों की आत्मा दुखी होगी.
उक्त बातें मूलवासी सदान मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने रविवार को मोर्चा की चिंतन बैठक में कही. श्री प्रसाद ने कहा कि जयपाल सिंह मुंडा इस बात को जानते थे कि मूलवासी सदानों की जन भागीदारी और सहयोग के बिना झारखंड राज्य का सपना पूरा नहीं हो सकता है.
मूलवासी सदानों को उनका हक मिलना चाहिए. शकुंतला मिश्रा ने कहा कि नागपुरी भाषा आर्य भाषा है और लगभग 2000 वर्षों तक यह नागवंशियों की राजभाषा रही है. डॉ उमेश नंद तिवारी ने कहा कि भाषा का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. डॉ अनिल मिश्रा ने कहा कि सादरी और सदानी नागपुरी भाषा के पर्यायवाची हैं.
बैठक में डॉ सुदेश कुमार साहू, डॉ जनार्दन प्रसाद, प्रो प्रेम सागर केसरी, पंकज कुमार, विशु महतो, राम कुमार, राजमनी कुमारी, विशाल सिंह, मनीष देव, योगेश महतो, विजय साहू और प्रोफेसर अरविंद प्रसाद आदि ने अपने विचार रखे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें