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समुद्र, जलवायु परिवर्तन पर संरा की रिपोर्ट लंबे गतिरोध के बाद स्वीकार

मोनाको : समुद्रों और पृथ्वी के ठंडे क्षेत्रों पर ग्लोबल वार्मिंग के भयावह प्रभावों पर विस्तार से रोशनी डालने वाली एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र की 195 देशों की जलवायु विज्ञान से संबंधित इकाई ने मंगलवार को मंजूरी दे दी. इससे पहले रिपोर्ट की भाषा पर सऊदी अरब की आपत्ति के कारण रातभर इस […]

मोनाको : समुद्रों और पृथ्वी के ठंडे क्षेत्रों पर ग्लोबल वार्मिंग के भयावह प्रभावों पर विस्तार से रोशनी डालने वाली एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र की 195 देशों की जलवायु विज्ञान से संबंधित इकाई ने मंगलवार को मंजूरी दे दी.

इससे पहले रिपोर्ट की भाषा पर सऊदी अरब की आपत्ति के कारण रातभर इस पर गतिरोध बना रहा. फ्रांसीसी वैज्ञानिक और रिपोर्ट के लेखकों में शामिल ज्यां-पियरे गातुसो ने पांच दिन की बातचीत के आखिर में ट्वीट किया, समुद्र और क्रायोस्फियर पर आईपीसीसी की विशेष रिपोर्ट स्वीकृत हो गयी है. जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी समिति (आईपीसीसी) ने स्वयं ट्वीट करके इसकी पुष्टि की और वह बुधवार को इस पर विशेष सार-संक्षेप जारी करेगी. इससे पहले कच्चे तेल के सबसे बड़े निर्यातक सऊदी ने 30 पन्नों की रिपोर्ट को स्वीकार करने में बाधा खड़ी कर रखी थी. वह पेट्रोल-डीजल से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करने की जरूरत को रेखांकित करने वाले संयुक्त राष्ट्र के एक पिछले आकलन को चुनौती देते हुए ऐसा कर रहा था.

मामला अक्टूबर 2018 में आयी आईपीसीसी की एक रिपोर्ट से जुड़ा है जो ग्लोबल वार्मिंग की सीमा 1.5 डिग्री सेल्सियस पर सीमित करने की व्यवहार्यता पर आधारित है. यह आकलन जीवाश्म ईंधन यानी पेट्रोल, डीजल आदि के इस्तेमाल में अत्यधिक कमी की जरूरत को रेखांकित करता है. सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है और उसने आईपीसीसी की अन्य रिपोर्टों पर भी इसी तरह की आपत्तियां जतायी हैं. एक प्रतिभागी ने कहा, ऐसा लगता है कि सऊदी अरब केवल 1.5 डिग्री सेल्सियस पर किसी भी तरह की भाषा का विरोध करने के लिए इस बैठक में आया.

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