दुर्गापुर : संतान की दीर्घायु के लिए माताओंद्वारा किया जानेवाला जिउतिया पर्व शनिवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया. शिल्पांचल के बाजारों में पूजन समेत अन्य आवश्यक सामग्री खरीदने के लिए ग्राहकों की भारी भीड़ देखी गयी. नहाय खाय के दिन स्नान के बाद भोजन में मरुआ की रोटी, मछली, नोनी साग, झिगली आदि की विशेष प्रधानता रहने के कारण बाजारों में इनकी कीमत में काफी उछाल देखा गया.
शनिवार को व्रत करनेवाली महिलाएं शहरकी विभिन्न जेवर दुकानों में जिउतिया की खरीदारी करती दिखीं. जिउतिया गुंथवाने के लिए दुकानों में भीड़ उमड़ी थी. रविवार को उपवास और सोमवार को पारण के साथ व्रत संपन्न होगा. प्राचीन काल से ही महिलाएं जिउतिया व्रत करती आ रही हैं. खासकर मिथिलांचल में यह पर्व काफी लोकप्रिय है. वहां सप्तमीको नहाय-खाय के साथ तीन दिवसीय जिउतिया पर्व का अनुष्ठान प्रारंभ हो जाताहै.
रात में जितवाहन पूजा श्रद्धापूर्वक की जाती है. इस अवसर पर चूड़ा, दूध- दही, केला, खाजा मिठाई आदि को झींगली (सब्जी) की लता के तीन पत्तों पर जिसमें एक में जितवाहन भगवान,दूसरे पर चिल्हों व तीसरे पर सियारों को थोड़ा-थोड़ा प्रसाद चढ़ायाजाता है और पुत्र के दीर्घायु होने की कामना करते हुए संपूर्ण भक्तिभावके साथ पूजा-अर्चना करने के बाद व्रती मातायें प्रसाद के रूप में उक्तखाद्य सामग्री को ग्रहण करती हैं. दूसरे दिन अष्टमी को दिन-रात उपवास करनेके बाद नवमी तिथि को व्रत तोड़ती हैं.
वही, पंचांग और पंडितों के एकमत नहीं होने से इस बार जिउतिया का व्रत दो दिन का हो गया है. विश्वविद्यालय और मिथिला पंचांग से चलने वालीसनातन धर्मावलंबी महिलाओं ने आश्विन कृष्ण पक्ष सप्तमी (शुक्रवार) कोनहाय-खाय के साथ जिउतिया महाव्रत का संकल्प लिया. वहीं काफी संख्या में वंशवृद्धि व संतान की लंबी आयु के लिए शनिवार को भी महिलाओं निर्जला जिउतिया व्रत रखा.