नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि राम-जन्मभूमि बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले से संबद्ध पक्ष यदि इसे मध्यस्थता के जरिए सुलझाना चाहते हैं, तो वे अब भी ऐसा कर सकते हैं.कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि अब इस मामले में मध्यस्थता के लिए सुनवाई को रोका नहीं जायेगा.
अगर पक्ष चाहे तो इस मामले को सुलझाने की कोशिश कर सकदता है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने 18 अक्टूबर तक दलील पूरी करने की डेडलाइन रखी है. दोनों पक्षों के वकील राजीव धवन और सीएस वैद्यनाथ द्वारा दिए गए टेंटेटिव अवधि को देखने के बाद सीजेआई ने कहा कि ऐसा लगता है कि अयोध्या मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर 2019 तक पूरी हो जाएगी. CJI ने कहा कि सभी पक्ष अपनी दलीलें 18 अक्टूबर तक पूरी कर लें. हम शनिवार को भी मामले की सुनवाई कर सकते हैं.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि उसे उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला का पत्र मिला है जिसमें कहा गया है कि कुछ पक्षों ने उन्हें मध्यस्थता प्रक्रिया पुन: आरंभ करने के लिए पत्र लिखा है.