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अब तक बिना इंश्योरेंस के ही सड़कों पर दौड़ रहे थे 90 फीसदी दोपहिया, बीमा के लिए लग रही सबसे ज्यादा भीड़

रांची : एक सितंबर से देश भर में लागू मोटरयान (संशोधन) बिल-2019 का खौफ लोगों पर साफ दिख रहा है. ड्राइविंग लाइसेंस और पॉल्यूशन अंडरकंट्रोल सर्टिफिकेट के अलावा वाहनों का इंश्योरेंस कराने की भी होड़ लगी हुई है. इस क्रम में चौंकानेवाले आंकड़े सामने आ रहे हैं. जानकारी के मुताबिक पिछले तीन दिनों में 90 […]

रांची : एक सितंबर से देश भर में लागू मोटरयान (संशोधन) बिल-2019 का खौफ लोगों पर साफ दिख रहा है. ड्राइविंग लाइसेंस और पॉल्यूशन अंडरकंट्रोल सर्टिफिकेट के अलावा वाहनों का इंश्योरेंस कराने की भी होड़ लगी हुई है.
इस क्रम में चौंकानेवाले आंकड़े सामने आ रहे हैं. जानकारी के मुताबिक पिछले तीन दिनों में 90 फीसदी ऐसे वाहनों का बीमा कराया गया, जिनकी वैधता काफी पहले ही समाप्त हो चुकी थी. वहीं बीमा अधिकारी बताते हैं कि 60 प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जिन्होंने शोरूम से वाहन निकलाने के बाद दोबारा कभी उसका बीमार रिन्यू नहीं कराया.
दरअसल, नये नियम के तहत बिना इंश्योरेंस वाली गाड़ी चलाने पर 2,000 रुपये चालान काटा जा रहा है. साथ ही लाइसेंस भी निलंबित करने का प्रावधान है. एक सितंबर के बाद इस एक्ट के तहत 100 से ज्यादा चालान काटे गये हैं. इसी का असर है कि राजधानी स्थित बीमा कार्यालयों में हर दिन भारी भीड़ लग रही है. सबसे ज्यादा परेशान वे लोग हैं, जिनकी गाड़ी अब तक बिना बीमा के ही सड़क पर दौड़ रही थी.
आंकड़ों बताते हैं कि एक सितंबर के पहले हर दिन औसतन पांच से 10 वाहन बीमा के लिए पहुंचते थे. आज 150 से 200 से वाहनों का रोजा बीमा हो रहा है. भीड़ इतनी है कि लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. बीमा कंपनियों के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक रात 10 बजे तक कार्यालय में बैठ कर काम निबटा रहे हैं.
एजेंसियों में मोटरसाइकिल के इंश्योरेंस के लिए लग रही सबसे अधिक भीड़
यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के सीनियर ब्रांच मैनेजर विजेंद्र कुमार के अनुसार एक सितंबर के बाद वाहन बीमा के लिए 2.5 प्रतिशत प्रपोजल ज्यादा आ रहे हैं. इसमें लगभग 60 से 80 प्रतिशत इंश्योरेंस बाइक के हो रहे हैं.
वहीं, ओरिएंटल इंश्योरेंस के प्रशासनिक अधिकारी वीरेंद्रनाथ चक्रवर्ती कहते हैं : कि नये मोटरयान (संशोधन) अधिनियम के लागू होने के बाद यातायात नियमों को लेकर लोगों में सकारात्मक बदलाव दिख रहे हैं. पहले लोग दोपहिया वाहनों के इंश्योरेंस को गंभीरता से नहीं लेते थे, जबकि अब हालात बदल गये हैं.
पुराने की तुलना में बीमाधारकों के लिए नया एक्ट अच्छा, मुआवजे में बड़ा बदलाव आइआरडीए मोटर थर्ड पार्टी प्रीमियम अमूमन हर साल अप्रैल में निर्धारित करती है. इस बार यह 1 जून को निर्धारित हुआ है. इसमें थर्ड पार्टी एक्सीडेंट पर मिलने वाले मुआवजे में बड़ी तब्दीली आयी है. नये एक्ट में मोटर व्हीकल एक्ट 1988 की खामियों वाली धारा 163-ए को हटा दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद फॉल्ट लायबिलिटी 140 में भी बदलाव हुआ है. पहले दुर्घटना के 10 साल तक क्लेम किया जा सकता था. अब ऐसी सूरत में पीड़ित पक्ष के द्वारा छह महीने के भीतर किया हुआ क्लेम ही मान्य होगा.
नया एक्ट लागू होने के बाद से हमारा बिजनेस काफी बढ़ गया है. रोजाना हिसाब लगाने पर 130 से 140 बीमा पॉलिसी करायी जा रही है. इसमें सर्वाधिक बीमा टू-वहीलर का कराया जा रहा है. हमारे पास तो ऐसी पुरानी-पुरानी गाड़ियां आ रही है, जिनका शो-रूम से निकलने के बाद बीमा कभी रिवाइज ही नहीं किया गया.
अशोक कुमार पांडेय, वरीय मंडल प्रबंधक, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस
ऑनलाइन इश्योरेंस खरीदने वाले भी बढ़े
मोटरयान (संशोधन) अधिनियम लागू होने के बाद गाड़ियों के ऑनलाइन इश्योरेंस की बिक्री दोगुनी हो गयी है. ऑनलाइन बीमा कंपनी पॉलिसी बाजार डॉट कॉम पर सबसे ज्यादा इन्क्वायरी दर्ज की जा रही है. एक आकलन के हिसाब से देश में 19 करोड़ पंजीकृत वाहनों में सिर्फ 8.26 करोड़ का ही बीमा है.

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