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हांगकांग में फिर हिंसा, प्रदर्शनकारियों पर दागे गये आंसू गैस के गोले

हांगकांग : हांगकांग पुलिस ने रविवार को पत्थर और पेट्रोल बम फेंक रहे लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोलों के साथ-साथ पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया. इससे हांगकांग में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी. हांगकांग में बीते 99 दिनों से लोकतंत्र के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे हैं. रविवार को एक […]

हांगकांग : हांगकांग पुलिस ने रविवार को पत्थर और पेट्रोल बम फेंक रहे लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोलों के साथ-साथ पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया. इससे हांगकांग में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी. हांगकांग में बीते 99 दिनों से लोकतंत्र के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे हैं.

रविवार को एक रैली के दौरान हजारों प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर मार्च कर अधिकारियों को चुनौती दी. रैली के दौरान उस समय हिंसा शुरू हुई जब गुस्साये प्रदर्शनकारियों के एक छोटे समूह ने शहर के मुख्य सरकारी परिसर पर हमले का प्रयास किया. इस दौरान परिसर के आसपास सुरक्षा घेरों पर पेट्रोल बम और पत्थर फेंके गये जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोलों और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया. इससे पहले, सैंकड़ों प्रदर्शनकारियों ने लोकतांत्रिक सुधार अभियान के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने के मकसद से रविवार को ब्रिटेन के वाणिज्य दूतावास के बाहर रैली की. हांगकांग अर्ध स्वायत्त चीनी क्षेत्र है. इस दौरान एकत्रित हुए लोगों ने ब्रिटेन के ध्वज फहराये और हांगकांग को बचाओ ब्रिटेन के नारे भी लगाये. प्रदर्शनकारी जिन बैनरों को थामे हुए थे उन पर लिखा था कि एक देश, दो व्यवस्थाओं का दौर अब खत्म हो चुका है.

गौरतलब है कि हांगकांग पर पहले ब्रिटेन का नियंत्रण था, लेकिन 1997 में ब्रिटेन और चीन के बीच हुए समझौते के बाद से इसे चीन को सौंप दिया गया. प्रदर्शनकारियों ने उस समझौते का हवाला देते हुए ब्रिटेन से हांगकांग की स्वायत्तता सुनिश्चित करने की अपील की. प्रदर्शनकारियों ने इससे पहले एक सितंबर को भी ब्रिटेन के वाणिज्य दूतावास के बाहर रैली निकाली थी. इसके अलावा उसने पिछले सप्ताहांत अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के बाहर भी रैली निकाली थी. दरअसल चीन ने हांगकांग के लिए एक प्रत्यर्पण विधेयक पेश किया था. यह कानून हांगकांग के मुख्य कार्यकारी और अदालतों को उन देशों के प्रत्यर्पण अनुरोधों को प्रक्रिया में लाने की अनुमति देगा जिनके साथ पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश का औपचारिक हस्तांतरण समझौता नहीं है. इसमें चीन, ताइवान और मकाऊ शामिल हैं, जिन्हें बिना विधायी पर्यवेक्षण के हस्तांतरण की इजाजत होगी.

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि चीन हांगकांग में अपना दखल बढ़ाने के लिए यह विधेयक लाया है. हालांकि, हांगकांग सरकार ने इस महीने घोषणा की थी कि वह विधेयक को वापस लेगी, लेकिन प्रदर्शनकारी शहर में प्रत्यक्ष चुनाव कराने और पुलिस की जवाबदेही तय करने की मांग पर अड़े हुए हैं.

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