17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अतिक्रमण के कारण अस्तित्व खो रहे आहर, पइन व पोखर

नासरीगंज (रोहतास) : पुराने जमाने में तालाब लोगों की आन-बान व शान का प्रतीक होते थे. तालाबों से लोगों की हैसियत का आकलन किया जाता था. लेकिन पुराने जमाने के लोगों के जाने के साथ ही उनकी इस हैसियत का भी अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. प्रखंड क्षेत्र की इटिम्हा पंचायत के इटिम्हा गांव […]

नासरीगंज (रोहतास) : पुराने जमाने में तालाब लोगों की आन-बान व शान का प्रतीक होते थे. तालाबों से लोगों की हैसियत का आकलन किया जाता था. लेकिन पुराने जमाने के लोगों के जाने के साथ ही उनकी इस हैसियत का भी अस्तित्व खतरे में पड़ गया है.

प्रखंड क्षेत्र की इटिम्हा पंचायत के इटिम्हा गांव के वार्ड पांच में खाता संख्या 282,प्लॉट संख्या 951 पर 63 डिसमिल में स्थित सरकारी जमीन पर बहुत पुराना विशाल तालाब देखभाल के अभाव में दुर्दशा का शिकार हो रहा है. लोग इस तालाब को दिन पर दिन भरते ही जा रहे हैं.
तालाब भरने के कारण आसपास का भूमिगत जलस्तर नीचे जा रहा है, जिससे जल संकट बढ़ता जा रहा है. पुराने जमाने के लोग जल को संरक्षित व पर्यावरण को सुदूढ़ करने का महत्वपूर्ण साधन तालाब खुदवाते थे. लेकिन मौजूदा समय में उपेक्षा के चलते तालाबों का स्वरूप बिगड़ गया है. वर्तमान समय में तालाबों के संरक्षण को लेकर लोगों को आगे आने की जरूरत है.
वहीं अधिकारियों को भी इस तरह के विशाल तालाबों को लोगो के द्वारा किये गये अतिक्रमण से मुक्त कराने की जरूरत है. ग्रामीण इलाके में जल संरक्षण का मुख्य माध्यम तालाब को ही माना जाता है. लेकिन ग्रामीण इलाकों में भी अब तालाबों की संख्या लगातार कम होती जा रही है. कहीं अतिक्रमण, तो कहीं उपेक्षा के चलते तालाब अस्तित्व खो रहे हैं.
वहीं, जल संचय नहीं होने से पेयजल का संकट भी गहराता जा रहा है. इटिम्हा पंचायत स्थित इटिम्हा गांव के वार्ड पांच में स्थित पुराने तालाब की हालत भी दयनीय हो चुकी है. लोग दिन पर दिन अतिक्रमण कर घर, मकान, झोंपड़ी,दलान भी बनाने लग गये हैं.
रखरखाव के अभाव में इसका अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है. तालाबों के संरक्षण को लेकर प्रभात खबर की मुहिम की क्षेत्र के लोग मुक्त कंठ से प्रशंसा कर रहे हैं. निजी तालाबों के जीर्णोद्धार के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है.
क्या कहते हैं अंचलाधिकारी
अंचलाधिकारी श्यामसुंदर राय का कहना है कि इटिम्हा पंचायत के वार्ड पांच में स्थित पुराने तालाब को चिह्नित कर व मापी करा कर जल्द से जल्द अतिक्रमण से मुक्त किया जायेगा. तालाब, पोखर, कुआं, पइन,आहर,गढ्ढा को अतिक्रमण मुक्त कराना सर्वप्रथम जिम्मेवारी है. प्रखंड क्षेत्र में जहां – जहां पर तालाब पर अतिक्रमण किया गया है उसे हर हाल में अतिक्रमण से मुक्त कराने की कार्रवाई की जायेगी, ताकि जल संकट दूर हो जाये.
क्या कहते हैं लोग
नासरीगंज प्रखंड प्रमुख पवन कुमार का कहना है कि आहर, पईन, पोखर, तालाब पर बसे दलित, महादलित, अतिपिछड़ा भूमिहीनों को रहने के लिए पहले भूमि उपलब्ध करायी जाये उसके बाद आहर, पईन, पोखर, तलाब को अतिक्रमण से मुक्त किया जाये.आहर,पईन, कुआं, तालाबों की साफ -सफाई व जीर्णोद्धार में युवाओं के साथ-साथ क्षेत्र के लोगों को बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए, सभी परंपरागत जलस्रोतों को बचाया जा सके.
सुदर्शन चौधरी का कहना है कि रखरखाव के अभाव में तालाब, आहर, पईन, कुआं दिन ब दिन सूखते जा रहे हैं व कचरे से भरते जा रहे हैं.पानी का स्तर नीचे जा रहा है, जिस वजह से आहर, पईन व तालाबों का पानी तेजी से सूखने लगा है. सूखे आहर,पईन, तालाबों में कचरा फेंकने से ये भरते जा रहे हैं, जिससे जल संकट गहराता जा रहा है.
संदीप बहादुर सिंह का कहना है कि जल संरक्षण के प्राचीन व ऐतिहासिक साधनों को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जाना चाहिए. अतिक्रमण के कारण ग्रामीण इलाकों में भी अब तालाबों की संख्या लगातार कम होती जा रही है. कहीं अतिक्रमण, तो कहीं उपेक्षा के चलते तालाब अस्तित्व खो रहे हैं.
भाजपा नेता सिकंदर सिंह का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के द्वारा तालाब, आहर, पईन, पोखर, कुआं आदि को भर कर लोग घर बना रहे हैं, जो काफी शर्मनाक और गलत है. अधिकारियों, पंचायत के मुखिया व सरपंच तथा जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण ये सभी धरोहरों की निशानी मिटती जा रही है, जो बहुत ही चिंता का विषय है.
धीरेंद्र सिंह का कहना है कि तालाब सभी लोगों के लिए सामाजिक सरोकार, जल संरक्षण और पर्यावरण रक्षा के धरोहर के रूप में हैं. प्रखंड में जितने भी तालाब, आहर,पईन और कुआं हैं, उनसभी को जल्द से जल्द अतिक्रमण से मुक्त कराना चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें